शनिवार, 7 जून 2014

जहाँ आँकलन हो, हमारा वतन हो।

जमीं हो गगन हो, अमन हो चमन हो,
जहाँ आँकलन हो, हमारा वतन हो,

नए सिलसिले हैं, बढ़े हौंसले हैं,
सभी साथ आओ, यही गीत गाओ,
झुकेंगे नहीं अब,  सर-मेरे कफ़न हो।
जहाँ आँकलन हो, हमारा वतन हो।

हो पहला तिरंगा, मइया जिसकी गंगा,
वर्षों विलग हों, रहती फिर भी चंगा,
ऐसा मेरा भारत, तो कैसे पतन हो।
जहाँ आँकलन हो, हमारा वतन हो।

हम नहीं रुकेंगे, चलेंगे चलेंगे,
माँ के आबरू को, शिखर पे रखेंगे,
जहाँ में ये भारत, सभी का सपन हो।
जहाँ आँकलन हो, हमारा वतन हो।
_______जय हिन्द_______
दिनाँक___०७/०६/२०१४
~~~~~~~~~ अंगिरा प्रसाद मौर्या।

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