सोमवार, 16 जून 2014

चमड़ी के चक्कर मेँ दर्द ?

*********अब मौत
की तलाश*********** ?
***********दोस्तो इनकी कहानी मैने
पड़ी ,कहानी मेँ दर्द है किन्तु दर्द का करण
कौन ? दोस्त जिस दिन इन्सान पैदा हुआ
उसी दिन प्यार भी पैदा हुआ |"प्यार
दो आत्माओ का मिलन है" लेकिन हम प्यार
का अर्थ जानते हुऐ या फिर अंजान बन कर अर्थ
का अनर्थ कर देते है|तो फिर प्यार क्या है
श्रीमान जी, "प्यार" एक दिल से उठने
वाली संवेदना या भावना है |और माता-पिता,
भाई-बहन ,पत्नी ,बच्चे, मित्र आदि "रिश्ते" है|
रिश्तो के बिच मिठी- मिठी बातेँ करना ,हँसना-
हँसाना, रुलाना,हाथो से सहलाना,चुमना, गले
या सिने से लगाना आदि| की जाने
वाली संवेदनाओ,भावनाओ और व्यवहार
को "प्यार" कहते हैँ| अत: जिवन मेँ "रिश्ता"
रुपी "गाड़ी" चलाने| "प्यार" रुपी "पेट्रोल"
अति आवश्यक है| वर्ना दोनो अधुरे है | एक और
संवेदना , जिसे मैथुन ,सैक्स या संम्भोग कहते हैँ|
ये केवल एक ही रिश्ते पत्नि के लिए बना है|
किन्तु किसी लड़के लड़कि के बिच आकर्षण बड़े
तो इसे प्यार कहते हैँ किन्तु ये आकर्षण सम्भोग
के लिए बनता है समाज मेँ ऐसे कार्य वर्जित हैँ |
यदि किसी लड़के लड़कि से प्यार हो तो पिछे
बताऐ गये प्यार के प्रति वो भावनाऐँ
होनी चाहिए न की संम्भोग यदि संम्भोग
आवश्यक है तो सामाजिक रीतिरिवाजो के साथ
पहले विवाह होना आवश्यक है किन्तु विवाह मेँ
भी दर्द होता है| दिल टुटतेँ हैँ| पर इसे सामाजिक
मान्यता है इसमेँ ऐसा नही की आज प्यार
किया संम्भोग किया और कल छोड़ दिया |कुछ
नियम कानुन बनाये गये हैँ और विवाह को अटुट
बँधन भी माना गया है| अत: किसी लड़के
लड़की के बिच प्यार हो उन्हेँ आत्मिक प्यार हो,
शारीरिक प्यार नहीँ यदि संभोग आवश्यक है,
तो पहले विवाह होना चाहिए |वर्ना चमड़ी के
चक्कर मेँ दर्द तो भोगना ही पढ़ेगा ?
धन्यवाद....| —
~~~~~~> मनीष गौतम "मनु"

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