इस जहान मेँ तो बस इक माँ ही तो महान है..!
अपने बच्चो के प्रति, उसके असाधारण करतब
को देख..! यहाँ हर एक दिल हैरान है..! माँ शब्द
मेँ है "आ"....... इस इस शब्द मेँ भी तो प्राण
है..! प्राण है तो जहान, वर्ना सुनी सुनी शान
है..! माँ के ऋण से हम कभी उऋण
नहीँ हो सकते...! माँ को बस बारम्बार साष्टाँग
दण्डवत प्रणाम है....!!
------->> मनीष कुमार गौतम 'मनु'
(((((((((( सु-प्रभात )))))))))
******मित्रवर********
आपका दिवस मंगलमय हो ..
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गुरुवार, 19 जून 2014
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