बुधवार, 31 दिसंबर 2014

नववर्ष की शुभकामनायें ! नया साल मुबारक हो ! नववर्ष मंगलमय हो। Happy new Year

धर्म ही नहीं ! धार्मिकता भी बढ़े,
मन ही नहीं ! मानसिकता भी बढ़े,
ईश्वर से करते हैं हम ये कामना !
केवल हम ही नहीं ! हमारे भी बढ़ें।
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कर्तव्यों पर रोज लड़ें !
हम पीड़ा ना संताप भरें!
"मौर्य" प्रखर व्यक्तित्व हमारा।
हम अपनों के ओज बनें।

नया वर्ष है नई उमंगें,
नव-सूरज की नई तरंगें,
हममे इतना साहस भर दे,
हम हर्षों के हर्ष बनें।
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नूतन पल के सोच नए हों,
अपनेपन के खोज नए हों,
हे ईश हमारी यही कामना !
वसुधा के अब लोग नए हों।
             ~~~~~~~~~अंगिरा प्रसाद मौर्य।
दिनाँक:- ३१/१२/२०४

रविवार, 28 दिसंबर 2014

धर्म और pk

धर्म !!!!!

बहन के साथ कैसा व्योहार करना चाहिए !
भाई के साथ कैसा व्योहार होना चाहिए !
बेटी से कैसा व्योहार होना चाहिए !
माँ से हमारा कैसा व्योहार हो !
पत्नी से कैसा व्योहार होना चाहिए !
हमारे पूज्यों, इष्ट देवी-देवताओं से कैसा व्योहार हो !
आदि।
ये सब नीतिगत है जातिगत नहीं।

यदि हम माँ का सम्मान करते हैं ! माँ से अटूट प्यार है। माँ की आज्ञा हमारे लिए अकाट्य है, तो निश्चय ही हम अपने कर्तव्य का पालन कर रहे हैं। अर्थात् हम धर्म पर हैं।
परंतु,
यदि कोई माँ की अवज्ञा करे अपमान करे ! तो वह अपने कर्तव्य पर नहीं है। अर्थात् वह धर्म पर नहीं है अथवा अधर्म पर है।

इसी प्रकार हमारे पूज्यों के लिए भी नीतियाँ हैं। वे कैसे प्रसन्न होते हैं ! उन्हें क्या रुचिकर लगता है ! उनके लिए क्या लाना चाहिए अथवा उन्हें क्या भेंट देनी चाहिए।

सारे कार्यकलाप नियमित हैं। जो नहीं जानते उन्हें इन नियमों का ज्ञान कराना भी हमारा धर्म है। अब यह उस व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह क्या करेगा ! क्योंकि धर्म नीतिगत के साथ-साथ व्यक्तिगत भी है।
किन्तु,
यदि कोई इन नियमों का उपहास करता है! उलंघन करने का सन्देश देता है तो वह अधर्मी है। क्योंकि आप में माउन्ट एवेरेस्ट पर चढ़ने जितना साहस और धैर्य यदि नहीं है तो, दूसरे को मना करने वाले आप कौन होते हो ??????

इसी तरह यदि भगवान भोलेनाथ के लिए दूध अर्पित करने के नियम हैं तो, ये पीके, खाके, नहाके, सौचालय से आदि कौन होते हैं मना करने वाले ?????????

आप ही सोचिये !!!!!
यदि आपको अपने पिता जी से कोई मूल्यवान वस्तु चाहिए तो, आप यही सोचेंगे कि जब पिता जी प्रसन्नचित रहेंगे तब माँगेंगे। अथवा उन्हें प्रसन्न करने के उपाय ढ़ूढ़ेंगे।

भगवान शंकर हमारे परमपिता हैं। उन्होंने हमे सुरक्षा प्रदान किया है। वे धर्म के ही नहीं धार्मिकता के स्रोत हैं। हम उनसे जितना प्रेम करेंगे, पिता होने के नाते वे हमसे गई गुना ज्यादा प्रेम करेंगे।

धर्म में यह भी है कि किसी को सताना नहीं चाहिए ! किसी को अपशब्द नहीं कहना चाहिए। किसी भी प्राणी को मारना पाप है।

परंतु यदि कोई आपके पिता को मारे तो, उसे मारना आपका धर्म ही नहीं अपितु पुण्यकार्य भी है। और यदि आप अपने पिता के सत्रु का साथ दिए तो, वह अधर्म ही नहीं अपितु आप पाप के भी भागी हुए।

अब आपको सोचना है कि फ़िल्म pk और उसके अभिनेताओं तथा फिल्मकारों के साथ क्या करना चाहिए। बताना हमारा धर्म है।

भारतीय शुभचिंतक- अंगिरा प्रसाद मौर्य ।

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शनिवार, 27 दिसंबर 2014

केवल फ़िल्म ही नहीं ! फिल्मकारों पर भी लगने चाहिए बैन

फ़िल्म पीके pk की बचकानी हरकते कुछ इस प्रकार है :-

यह फ़िल्म यह बताना चाहती है कि 20₹ लीटर दूध है इस महंगाई में इसे शंकर भगवान पर नहीं चढ़ाने चाहिए अपितु उसे निर्धनों में बाँट देना चाहिए।

फ़िल्म pk का सन्देश है गाय को चारा खिलाना कोई धर्म नहीं है।

फ़िल्म pk का सन्देश है जो भगवान से डरते हैं वही मंदिर जाते हैं।

फ़िल्म pk का सन्देश है राममंदिर अथवा कृष्ण मंदिर नहीं बनवाना चाहिए, अथवा दूसरे शब्दों में यह भी कहा जा सकता है "फ़िल्म कहना चाहती है कि मंदिर बनाना पाप है !

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फ़िल्म वालों को हमारी प्रतिक्रिया :-
आज की महंगाई में तो 20₹ बहुत ही कम होता है। फ़िल्म वाले करोड़ो रूपये खर्च करते हैं फ़िल्म बनाने में, अगर वही पैसा निर्धनों के बजाय गरीबों बाँट दिए जाँय तो  शायद, अल्ला के नाम पे देदो ! मौला के नाम पे दे दो ! ये सब बंद हो जायेंगे। सबको घर बैठे ही पैसा मिलने लगेगा। फिर उन्हें कटोरे लेकर घूमने जितना भी संघर्ष नहीं करना पड़ेगा।

गाय को चारा खिलाना अगर धर्म नहीं है तो क्या गौहत्या धर्म है ?????? आजतक हमने ऐसा कहीं नहीं सुना कि आमिर खान जीव-हत्या के विरुद्ध बोले हों। क्योंकि ये भी एक इस्लामिक हैं और isis के लोग भी इस्लामिक।

जो भगवान से डरते हैं वो केवल दिन में एक ही बार मंदिर जाते हैं।
जो पाँच बार नमाज करते हैं वो अल्ला से नहीं डरते। और इतना ही नहीं ! नमाज लाउडस्पीकर की तेज आवाज में करते हैं। इस पर आमिर खान अथवा हिरानी के पास कोई सन्देश ही नहीं है।
अरे !!! कम से कम फ़िल्म में इतना बता दिए होते की अल्ला(ईश्वर) कम सुनते हैं जिन्हें लाउडस्पीकर से आवाज लगानी पड़ती है। तो भी आमिर का रवैया खुल के समझ में आता।

अगर धर्म की परंपरा तथा धार्मिकता को बनाये रखने के लिए मंदिर बनाना पाप है! तो क्या इराक के इस्लामिकों द्वारा किया जाने वाला अनाचार, नरसंहार, बलात्कार करना पूण्य है। यदि ऐसा ही है तो फ़िल्म वालों को अपनी माँ-बहनों-बेटियों को भेज देना चाहिए इराक में।
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धिक्कार है ऐसे सेंसरबोर्ड(अभिवेचन संघ) पर !
धिक्कार है दिल्ली में बैठी ऐसी भारत-सरकार पर।
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आप भी हमें अपने विचार अवश्य लिखें /-

बहुत ही व्यथित हूँ - अंगिरा प्रसाद मौर्या।
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बुधवार, 24 दिसंबर 2014

अभद्रता और अश्लीलता

जो श्रृंगार अनुपयुक्त होता है अथवा जो चलन उचित नहीं है उसे ही अभद्र कहा जाता है तथा जिससे इसका प्रादुर्भाव होता है उसे अभद्रता का प्रतीक माना जाता है।

अश्लीलता का शाब्दिक अर्थ वास्तविकता है। किन्तु वास्तविकता का आशय सत्यता से है और अश्लीलता का तात्पर्य प्रतिबंधित वस्तु अथवा वक्तव्य को प्रदर्शित अथवा चित्रित करने से है।

अभद्रता और अश्लीलता दोनों ही हमारे भारतीय समाज एवम् संस्कार के लिए कई दशकों से प्रताड़ना रहा है। हमारे हिन्दू समाजसेवियों ने इसके विरुद्ध बहुत अभियान चलाये और बहुत अभिभाषण दिए किन्तु असफल रहे और अश्लीलता दिन-प्रतिदिन भारत में हावी है।

आज की परिस्थिति मानों इस प्रकार है कि इसके विरुद्ध बोलने का किसी में साहस भी नहीं है।
क्योंकि अब यह समाज के नस-नस तक फ़ैल चुकी है।

अश्लीलता एवम् अभद्रता के विस्तार का कारण:-

सबका ईश्वर एक ही है। किन्तु लोकतान्त्रिक समाज में भी सबका स्थान भिन्न है, वो भी योग्यता के अनुसार नहीं! कथित जाति के अनुसार। एक बुड्ढा व्यक्ति अपने बच्चे के आयु के व्यक्ति को बाबा कहे और उसकी आज्ञाएं माने। इसी प्रकार बहुत ही पाखण्ड व्याप्त था हमारे समाज में।

पाखण्डों की प्रताड़ना में भारतीय समाज का कुछ हिस्सा अनावशयक दण्ड भोगने पर नित्य विवश था। वह क्या करता वह असहाय था। ईश्वर सबका एक है यही ध्यान में रखकर वह सोचता था कि हमारे भी दिन आएंगे कभी।

नारियाँ भी घोर दण्डित थीं जो संसार की जननी हैं। यह सबकुछ चलता रहा। प्रताड़ित लोग आशा की टकटकी लगाये हुए थे और ईसाईयों का आगमन हुआ। ईसाईयों ने अपनी सत्ता स्थापित करने हेतु भारत में ईसाइयत का ढिढोरा पीटा और प्रताड़ित वर्ग ईसाई हो चले।

उस समय जो लोग ईसाई हुए थे वही अभद्र और अश्लील कहे जाते थे । किन्तु आज जो अभद्र हैं और अश्लीलता को धारण किये हुए हैं उन्हें उनकी इसी महानता हेतु पुरस्कृत किया जाता है।

अब सोचिए अभद्र और अश्लील कौन नहीं होना चाहेगा!!!!!!!!

हमने अपने मत व्यक्त किया है।
अब आप से भी प्रशन है जिस पर आप अपना मत व्यक्त कीजिये।

क्या अभद्रता और अश्लीलता प्रतिबंधित होनी चाहिए ??????
यदि हाँ तो इसका ऊपाय क्या होना चाहिए। यह कैसे प्रतिबंधित किया जा सकता है !!!!!!
☝☝☝☝☝
भारतीय शुभचिंतक 👉 अंगिरा प्रसाद मौर्या।

शुक्रवार, 19 दिसंबर 2014

धिक्कार है

दुःख ! सज्जनों अथवा परिजनों के बाँटे जाते हैं दुश्मनों के नहीं !

भारत के सभी टीवी चैनल वाले और प्रसिद्ध लोग पाकिस्तान के दुःख में शोक मनारहे हैं, मानो भारत की राजधानी पाकिस्तान ही हो।
धिक्कार है ऐसी सोच और निर्मम भावनाओँ पर।
भारतवासी देश को माँ का स्थान देते हैं। और जो माँ का अपमान करता हो उसे भगवान बना देते हैं।
तूँ धन्य है विधाता,हैं धन्य तेरे मानव।

मंगलवार, 16 दिसंबर 2014

मुसलमान, इंसान और मानव

भारत में एक वर्ग है जिसे अल्पसंखयक अथवा मुसलमान कहते हैं। इसका सभी भारतीयों के साथ तनातनी होते रहता है। चाहे वो सिक्ख हों अथवा हिन्दू या फिर और कोई। ये अपने अपराधों को नजरअंदाज कभी नहीं करना चाहते हैं। इनका एक ही कहना होता है कि ये पाक हैं बाकी सब नापाक(अपराधी/अत्याचारी)। परंतु जहाँ जहाँ मुस्लिम बहुल क्षेत्र है वही संवेदनशील क्षेत्र के रूप में जाना जाता है।

बेंगलुरु से "मेहँदी मसरूर विश्वास" नाम का मुस्लिम व्यक्ति isis का समर्थक निकला उसके विषय में ये मुस्लिम धर्मगुरु चुप हो जाते हैं मानों उनको वो दिखाई ही नहीं दे रहा हो। यदि कोई इन धार्मिकों से पूँछ भी ले कि आपने फला-फला के ऊपर कोई टिपण्णी क्यों नहीं की ??? तो इनका मात्र एक ही उत्तर होता है कि कानून अपना काम करेगी। हम उसमे हस्तक्षेप नहीं करते।

और जब धर्मान्तरण वाली बात आती है अथवा लव-जिहाद जैसा तत्व सामने उभर कर आता है तब इन गुरुओं को दिखाई पड़ने लगता है । तुरंत ही मुसलमान के नाम पर इनका एक कौम(समुदाय) हो जाता है और पक्षपात करना प्रारम्भ हो जाता है। लेकिन सभी मुसलमान अपराधी नहीं हैं उनको गुमराह किया जाता है।

अभी अभी दो तीन दिन की बात है। सलीम नामक मुरादाबाद के एक मुस्लिम धर्मगुरु ने श्री प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को धमकी दे डाला। और उसकी धमकी है कि, "हम मुसलमान लोग किसी से डरते नहीं! अपनी सुरक्षा हेतु हम सस्त्र उठाने से कतरायेंगे नहीं। धर्मान्तरण पर रोक लगना चाहिए क्योंकि यह देश के भविष्य के लिए अच्छा नहीं है। यदि ऐसा नहीं हुआ तो हम देश के विरुद्ध जंग छेड़ेंगे।"

लो कर लो बात !!!!!!!!!
वे जो पेशावर में हमलावार और मुरीद हैं क्या वे मुसलमान नहीं ?????
वे जो इराक में खौंफ बनाये हुए हैं क्या वे मुसलमान नहीं !!!!!!!!
वे सभी मुसलमान हैं ये पूरा विश्व जानता है।
किन्तु यदि आपस में सौहार्द और प्रेममयी वातावरण बनाना है तो इनसब का धर्म-परिवर्तन आवश्यक हो गया है। अब इन्हें इंसानियत की नहीं अपितु मानवता के शिक्षा की आवश्यकता है। क्योंकि ये खुद को भी इंसान बताते हैं और जिसे धमकाते और मारते हैं उसे भी इंसान।
आजकल इंसान शब्द मेरे समझ से परे हो गया है! पता नहीं किसको सान कैसी सान और किसकी सान।

जबकि हिन्दू धर्म के अनुसार केवल दानवों का ही प्रतिकार किया जाता है मानवों का नहीं।

हमारा स्वतंत्र विचार यही है कि, "भारत सरकार यदि भारत को कुशल मंगल देखना चाहती है तो सभी दानवों का धर्म-परिवर्तन करना चाहिए। अन्यथा भारत, इराक में तब्दील हो जायेगा ! इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगा।
अथवा
उत्तर प्रदेश की सरकार का अनुशरण केंद्र सरकार को करना चाहिए। उत्तर प्रदेश सरकार ने उर्दू भाषा को द्वित्तीय श्रेणी दिया। इसी प्रकार केंद्र सरकार को भी गैर हिंदुओं को द्वित्तीय श्रेणी में भेज देना चाहिए।

हमने तो बहुत बड़ी समीक्षा की। किन्तु आप भी हमे अपने स्वतंत्र विचारों से परिचित करवाएँ /-
सादर /-

भारतीय शुभचिन्तक- अंगिरा प्रसाद मौर्या।

वन्दे-मातरम्
!!*!!
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शनिवार, 13 दिसंबर 2014

धर्मान्तरण पर विशेष

आजकल धर्मान्तरण के समाचार सुनते और पढ़ते परेशान हो चुका हूँ इसलिए अपना विचार भी रख रहा हूँ।

भारत अधिकांश लोग हैं जो स्वयं को हिन्दू मानते हैं तथा उनके पास प्रमाण-पत्र भी हैं। किन्तु पाखण्ड के चलते सबलोग अपने हिन्दू होने पर यदि पश्चाताप न करते हों तो गर्व भी नहीं कर पाएंगे। क्योंकि यदि पूरे विश्व को देखा जाय तो भारत बहुत छोटा राज्य है और यहीं पर केवल हिन्दू रहते हैं। वे जैसे ही विदेश जाते हैं भारतीय भारतीय हो जाते हैं।

यदि किसी समुदाय के लोगों का धर्मान्तरण हिन्दू में हो जाय तो वास्तव में ये बहुत ही आश्चर्यचकित करने एवम् चौंकाने वाली बात है। क्योंकि हिन्दू धर्म के अंतर्गत विभिन्न जातियाँ आती है और सबका अपना इतिहास है, आप चाहे उसे बनावटी कहें अथवा यथार्थ परंतु किसी के पास इसका कोई सचित्र प्रमाण नहीं है।

बहुत ज्यादा चौंकाने वाली बात तो यह है कि यदि कोई हिन्दू बनता है तो उसकी जाति क्या होगी????????
क्या जो धर्मान्तरण करवा रहे हैं वे अपनी जाति में लेंगे ?????
अपनी बहन-बेटियाँ उनसे व्याहेंगे ?????
कदापि नहीं !!!!!!
यदि ऐसा ही होता तो लव-जिहाद नाम का कोई अपशिष्ट तत्व समाज में न व्याप्त होता।
अगर किसी नई जाति का निर्माण किया जाय तो उसे भेदभाव कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगा अथवा फिर कोई धर्मान्तरण ही क्यूँ करे।

हमारा स्वतंत्र मत यही है कि इस विषय पर सरकार को गंभीरता से काम लेना चाहिए।
सरकार को चाहिए धर्म का नए सिरे से निर्माण करे जिसका एक मात्र नाम मानवधर्म होना चाहिए।

अब भगवान किसको मानें ??????
भगवान का पद श्रीराम और श्री कृष्ण को ही मिलना चाहिए। क्योंकि मानवजीवन और मानवता के उदाहरण हेतु इससे श्रेष्ठ संसार में कोई भी चरित्र किसी भी ग्रन्थ में वर्णित नहीं है।

पाखण्ड को आज ही त्यागें :-
यदि आप हिन्दुत्व के पथ पर चलना चाहते हैं अथवा समस्त मानवजाति को लाना चाहते हैं तो कृपया जाति-पाति जैसे भेदभाव एवम् अन्य तमाम उन विशंगतियों का त्याग कर दें जिनसे मानवता को आघात पहुँचती हो अथवा जो लोकतंत्र या शिक्षित समाज में लागू (थोपा) नहीं किया जा सकता।

तथ्य:-
जो ज्ञानी(पारंगत) है वही पंडित है।
जो बलवान एवम् धनवान है वह यदि सभी का नहीं तो कुछ लोगों का श्वामी अवश्य है चाहे उसकी प्रवृत्ति कैसी भी हो !

भारतीय शुभचिन्तक- अंगिरा प्रसाद मौर्या।

हमसे यदि कोई भूल हुई हो तो आप भी अपने विचार सुझाएँ /-
किन्तु प्रतिक्रिया अवश्य दें /-

वंदे-मातरम्
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शुक्रवार, 12 दिसंबर 2014

समाज और फिल्मों की चाटुकारिता

हमने बहुत शोध किये किन्तु फ़िल्म चाटुकारिता के भरोसे चल रही है यही तथ्य प्राप्त हुआ।

आज आप 2014 में हैं कल 2015 में पहुँच जायेंगे। जरा एक बार पीछे मुड़कर 2010 में चले जाइये। उस समय आप पाएंगे कि फिल्मों में जितनी अश्लीलता थी उतनी अश्लीलता और अभद्रता आज समाज में बड़े पैमाने पर देखने को मिल रही है। किन्तु आज जैसी अभद्रता फिल्मों में दिखाई जाती है उसका प्रादुर्भाव समाज में महज दो सालों में देखने को मिलेगा।

हम किसी सम्प्रदाय विशेष को इंगित नहीं कर रहे हैं अपितु पूरे समाज की बात कर रहे हैं। वही समाज जिसमें आपके माता पिता भाई बहन बेटी आदि आते हैं और हमारे भी।

हमने बहुत से लोगों को पूँछा कि आप हनी सिंह जैसे अभद्र कलाकारों को क्यों पसंद करते हैं ? लोग कहते हैं कि मजा आता है वह सीधा सीधा सबकुछ कहता है।
हमने कहा सीधा कहता है ! कहीं गाली तो नहीं देता है ? लोगों ने कहा नहीं भाई मनोरंजन की बात करता है।

हमने फिर कहा क्या आजकल के फ़िल्म और गाने आप अपनी बहनों और बेटियों के साथ भी देखना पसंद करेंगे ? कुछ लोगों का कहना था नहीं कभी नहीं। और कुछ लोगों का कहना था ये सार्वजनिक रूप से चल रहा है समाज में इसमें कौन सी लाज-शर्म।

अब बचे हुए कुछ लोगों से हमने फिर सवाल किया !
आज के समाज में तो एक बाप अपनी बेटी का बलात्कार कर रहा है और एक भाई अपनी बहन का बलात्कार कर देता है वो भी सार्वजनिक रूप में । क्या इसी तरह आप भी कर देंगे ? अथवा अनजाने में आपकी बहन अथवा बेटी आपसे विवाह करने को कहे तो तो कर लेंगे ?

हमारे इस प्रश्न पर वे लोग भी चुप हो जाते थे और अपना सर इस तरह झुका लेते थे मानों वे कोई अपराधी और मैं एक दंडनायक(न्यायधीश)।

अब आपसे भी हमारा स्वतंत्र विचार यही है कि मित्रों आप भी और आज ही फिल्मों के बहिष्कार में जुट जाएँ।
क्योंकि जिस फ़िल्म-जगत को दर्पण-जगत कहा जाता था वो आज अपहरण जगत हो गया है।
समाज में क्या होना चाहिए वह दिखाना दर्पण दिखाना है। फिल्मों में नैतिकता होनी चाहिए। नैतिकता अर्थात एक ऐसी नीति तैयार होनी चाहिए जिससे समाज का नुकसान नहीं कल्याण हो।

जो हो रहा है अथवा जो चोरी से किया जा रहा है या जो कार्य प्रतिबंधित हैं समाज कल्याण हेतु। उन कार्यों एवम् अवैध क्रियाओं को बहाल कराना किसी भी प्रकार का दर्पण नहीं हो सकता। यह अधर्म की चाटुकारिता कर धर्म को पराजित करना है। यह तो दुर्योधन का साथ देकर अर्जुन को हराना है।

यदि आप एक सच्चे देशभक्त, मातृभक्त और धार्मिक होंगे तो कल से आप किसी भी प्रकार की फिल्में नहीं देखेंगे। इसमें हमें तनिक भी संदेह नहीं है।

वन्दे-मातरम्

भारतीय शुभचिन्तक- अंगिरा प्रसाद मौर्या।

जय हिन्द !!*!! जय भारत

गुरुवार, 9 अक्तूबर 2014

वन्दे - मातरम

निश्चित जो आये परिणाम, खत्म करो अब युद्ध विराम,
शस्त्र की ऐसी बारिश कर दो, पाक नहीं अब मिले सिवान।

घुट-घुट कर जीना क्या जीना, तुरत मरें तो बनता काम,
रुक-रुक कर क्या गोलीबारी, टूट पड़ो अब पका है आम।

गैरों को सत्ता हम दे दें, गैर हमें ना करे प्रणाम,
"मौर्य" हमारी नीति नहीं ये, नियत से करते हम ये काम।
_________ ०९/१०/२०१४
*** अंगिरा प्रसाद मौर्या ***
WWW.indiasebharat.blogspot.com
!!*!! वन्दे-मातरम !!*!!

शनिवार, 27 सितंबर 2014

जय भारत

क्षतिपूर्ति और दंडात्मक कार्रवाई की मांग करने वाली 28 पन्नों की शिकायत में मोदी पर मानवता के खिलाफ अपराध करने, न्यायेत्तर हत्याएं करने, पीड़ितों (जिनमें से अधिकतर मुस्लिम हैं) को प्रताड़ित करने और उन्हें मानसिक एवं शारीरिक आघात पहुंचाने के आरोप हैं। एजेसी के अध्यक्ष जोसेफ व्हाइटिंगटन ने कहा कि मोदी तक सम्मन पहुंचाना आसान नहीं होगा, लेकिन यह वर्ष 2002 के दंगा पीड़ितों के लिए प्रतीकात्मक विजय होगी।

पन्नुन ने कहा, ‘प्रधानमंत्री के रूप में मोदी को उन कार्यों के लिए छूट होगी जो उन्होंने प्रधानमंत्री के तौर पर किये लेकिन उन कार्यों के लिए यह छूट नहीं होगी जो उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर किए जिस समय दंगे हुए थे।’---media reporter.
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इसे ही कहते हैं कूटनीति, अथवा दूसरे शब्दों तुच्छ विचार अथवा भावनाएँ।

मित्रों आपसे भी हमारा एक बहुत सीधा सा प्रश्न है ?
क्या न्यूयार्क के न्यायलय को बराक ओबामा के प्रति सम्मन नहीं जारी करना चाहिए ? जो isis के इराकी मुस्लिमों पर बमबारी कर रहा है।

हमारा मत है की यदि भारत सरकार तक अथवा किसी भारतीय नेता तक ऐसे प्रश्न आयें और उस पर उत्तर माँगे जाएँ तो उसे पढ़ना तो चाहिए, किन्तु उत्तर में उन नकली अथवा औपचारिक दस्तावेजों को फाड़कर सार्वजनिक रूप से उस पर थूक देना चाहिए।
तब पता चलेगा की चोट अथवा दर्द क्या होता है और कितना कड़वा होता है, तथा उसके प्रतिकार हेतु कैसी पहल करनी चाहिए और कैसी की गयी।
हमें तो न्यूयार्क के मानवाधिकार वाले दानवाधिकारी स्वभाव एवं संस्कार से लगते हैं।

आप भी अपने विचार अवश्य दें

भारतीय शुभचिन्तक- अंगिरा प्रसाद मौर्य।

सोमवार, 1 सितंबर 2014

पाकिस्तानी हिन्दू और पांडित्य

पांडित्य के चलते पाकिस्तान में आज भी हिन्दुओं में दलित वर्ग के लोगों के साथ अन्याय हो रहा है।

भारत की स्थिति तो लगभग ठीक हो गई है। भारत के लोग अब जागरूक हो चुके हैं। किन्तु पाकिस्तान में रहने वाले हमारे सम्बन्धी कथित हिन्दुओं में आज भी कटुताओं का स्थान प्रबल है। छुआछूत प्रबल है।

पाकिस्तान में केवल मुसलमान ही नहीं अपितु कथित ऊँची जाति के हिन्दू भी अपने कथित दलित भाइयों को प्रताड़ित करते हैं। वहाँ पर भोजनालयों में नीची जाति के लोगों को या तो साथ में बर्तन(पात्र) लेकर जाना पड़ता है या फिर अलग कोने में रखे हुए बर्तनों में उनको खाना देकर सबसे अलग स्थान पर बैठाया जाता है और बाद में बर्तन धोकर जाने की बाध्यता भी है, किन्तु पैसे पूरे अदा करने पड़ते हैं।
विचारणीय यह है कि मुद्रा उतने ही अदा करने हैं तो घृणित स्थान क्यूँ ? व्यंग और ताने क्यूँ ? और फिर बर्तन क्यूँ धोएँ ?

लेकिन भारत का कोई भी पंडित जातिवादिता का खंडन नहीं करता। हमसे सम्बन्ध रखने वाले पाकिस्तानी हिन्दू भाइयों को कोई भी आश्वाशन नहीं देता कि अपने समुदाय के सभी लोग मिलजुलकर रहें एकता बनाएँ रखें।

आप समाचार पत्रों में रोज पढ़ते होंगे कि पाकिस्तानी हिन्दू भारत में शरण लेने प्रतिदिन यत्न-प्रयत्न कर रहे हैं, किन्तु भारत में उनके लिए कोई स्थान नहीं है। यहाँ कि कथित धर्मनिरपेक्ष पार्टियाँ मुसलमानों को आरक्षण देने में परेशान हैं। और मानवों के लिए उनके हृदय में कोई स्थान नहीं है वे तो चाहते हैं कि हिन्दुओं की जनसंख्या कम हो और भारत भी इराक में परिवर्तित हो जाए। उन्हें अन्य लोगों से क्या लेना वे तो बस वोट के भूखे हैं।

यदि ऐसा ही ही चलता रहा तो पाकिस्तानी मुसलमान पहले दलित हिन्दुओं की संपत्ति लूटेंगे उसके बाद जब ऊँची जाति वालों की संख्या नगण्य हो जाएगी तब इनको भी छोड़ेंगे थोड़े ही लात मार के भगा देंगे।

पाकिस्तानी नेता बार बार भारतीय मुसलमानों की दुहाई गाते हैं कित्नु भारतीय नेता एक बार भी पाकिस्तानी प्रताड़ित हिन्दुओं के अधिकार हेतु पाकिस्तान को सचेत नहीं करते। यदि एक बार भी भारत सरकार पाकिस्तानी हिन्दुओं के अधिकार की बात कर दे तो वहाँ रह रहे हिन्दू पूरे साहस के साथ लड़कर अपने अधिकारों को छीन लेंगे। भगवाधारी दिन के सूर्य से सम्बन्ध रखते हैं ! रात्री के चाँद से नहीं। जब सूर्योदय होता है तब चाँद का पता भी नहीं लगता।

लेकिन भारतीय राजनीतिग्य ऐसा नहीं करेंगे क्योंकि ऐसा कर देने से उनकी सेकुलरवादी छवि बिगड़ जाएगी।

ऐसा करने हेतु श्री योगी आदित्यनाथ जैसे भगवाधारियों की आवश्यकता है जो कहने में नहीं करने में विश्वास रखते हैं। भारत में ही नहीं पाकिस्तान से भी हिन्दुओं का अधिकार दिलाने की क्षमता वाला व्यक्ति ही भारत का प्रतिनिधि होना चाहिए।
WWW.indiasebharat.blogspot.com

भारतीय शुभचिन्तक - अंगिरा प्रसाद मौर्या।
इस जानकारी को इतना शेयर करें कि प्रधान मंत्री तक पहुँच पाए।

हिन्द हितार्थ जारी /-
वन्दे-मातरम !