शुक्रवार, 13 जून 2014

हमें हिदुस्तान को विश्व-गुरु बनाना है तो धैर्य की विशेष आवश्यकता है

किंचिद धैर्य नहीं खोना है,
कटुताओं के तूफानों में, 
कोलाहल भी खूब मची हो,
स्थिति के ही ऊफानों में।।
किंचिद धैर्य नहीं खोना है,
कटुताओं की तूफानों में।।

पल आया वो बीत जायेगा,
हारा बंदा जीत जायेगा,
करुण करेंगे व्यक्ति वही तब,
अपने अपने ही "मानों" में।।किंचिद.............तूफानों में।।

यथा-व्यथा के वेग मात्र से,
हैं रुक जाते साधारण "पंछी",
व्यक्ति साहसी को तुम देखो,
नगण्य समय है उत्थानो में।।किंचिद...............तूफानों में।।

चाहत की बस लहर चाहिए,
साहस का इक कहर चाहिए,
आशा की बस नहर चाहिए,
मिलेंगे अपने वीरानों में।। किंचिद................तूफानों में।।
>>>>>>>वन्दे-मातरम<<<<<<<
~~~~~~~Angira Prasad Maurya
दिनांक:- २९/११/२०१३

मानों=जिस मान के कारण लोगों को अहंकार या घमंड होता है।
पंछी,= पक्षी, अर्थात पंख वाला प्राणी।

यथा-व्यथा=आज इस कलयुग की जो स्थिति है।

पंछी का का संबोधन उस व्यक्ति के लिए दिया गया है जिनको बिना बुरे समय का सामना किये ही अच्छे दिन प्राप्त हों।
https://www.facebook.com/apmjsk/posts/551977334891366?stream_ref=5

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें