गुरुवार, 26 जून 2014

राजनीति बनाम समाजनीति

आज मोदी जी को प्रधानमंत्री पद पर बैठे हुए पूरे एक माह हो गए, लेकिन उन्होंने किसानों की खुशहाली से सम्बंधित एक भी बैठक नहीं बुलाई और न ही इस पर कोई राय दिए।

बात साफ़ जब नेता लोग किसानों के क्षेत्र में अपनी रैलियों को संबोधित कर रहे होते हैं, तब किसानों से तमाम लोक-लुभावन वादे करते हैं।
लेकिन जब उनको आसन दे दिया जाता है तो सारे वादे भूल जाते हैं।

ध्यान सभी का उसी तरफ जाता है जो बहुमंजिला ईमारत में रहते हैं और वातानुकूलित कमरों में सोते हैं। गैस का भाव बढ़ेगा यह आज मंत्रिमंडल में बैठे हुए सभी को चेत रहा है, रेल किराये बढ़ा दिए गए कि इससे सरकार को लाभ होगा इत्यादि।
लेकिन,
उन किसानों का क्या हुआ अथवा होगा! इसके लिए किसी को सोचने की फुरसत ही कहाँ, क्योंकि अगर किसानों को उनके फसलों का सही भाव और उचित सुविधाएँ मिल जायेंगे तो गरीबी के कारण अशिक्षित कहे जाने वाले लोग शिक्षित कहलाने लगेंगे ।  हर किसान अपनी संतानों को उच्च शिक्षा तक पहुँचाने में सक्षम हो जायेगा। और हमारे भारत की सबसे बड़ी गरीबी के शिकार लोग अमीर बन जायेंगे ! इससे तो पूरा भारत ही अमीर हो जायेगा। एक भारत श्रेष्ठ भारत साकार हो जायेगा। फिर तो लोगों को लुभाने के लिए वायदे ही कहाँ बचेंगे? जिससे बदहालों की बदहाली पर रोकर उनको आकर्षित किया जा सके ।

जी हाँ !!
ऐसा ही सबकुछ हो रहा है। आज किसानों के गन्ने का मुल्य सिर्फ 3 रूपये प्रति किलो है जबकि 1 रूपये की बोतल में भरा हुआ आधा लीटर पानी का मुल्य दस रूपया है। इन चीजों की तुलना सरकार क्यों करेगी ? क्योंकि पानी बेचने वाले तो बहुमंजिला ईमारत में रहते हैं, उनके पास हर एक सुख आराम के साधन हैं। जबकि गन्ना किसान तो झोपड़ी अथवा एक मंजिला के अधूरे घर में रहता होगा, जिसमे शायद ही आधुनिक सुख सुविधाओं के साधन होंगे।

इसी तरह किसानो और आम जनों की उपजाई हुई हर चीज के साथ गलत व्योहार हो रहा है। लेकिन उसके विषय में सोचने से भला सरकार को क्या लाभ ?

केंद्र सरकार के बाद आती हैं हमारी राज्य सरकारें। वे भी वोट बैंक के लिए सदैव तत्पर हैं लेकिन बदहाली से उबारने के लिए उनके पास समय नहीं है।

जी हाँ !!
आज जब रेल का भाड़ा बढ़ गया और गैस के भाव बढ़ने वाले हैं तो जनता को उनकी जेब दिखाकर उनके कटे हुए पर मरहम लगाने के बजाय नमक का छिड़काव किया जा रहा है। जगह जगह धरना दिया जा रहा है तो कहीं रेल मार्गों को ही रोक दिया जा रहा है, कहीं बंद की घोषणा कर दी जा रही है। कुल मिलाकर राज्य सरकारें भी जनता में केंद्र सरकार के प्रति आक्रोष उत्पन्न कर अराजकता फैलाना चाहती हैं। और इससे किसी भी सरकार का कोई नुकसान नहीं होने वाला है अपितु इसका भार भी भोली जनता को ही उठाना पड़ेगा।

हमें तो मोदी जी के द्वारा बिहार और उत्तर प्रदेश में दिए गए कुछ भाषण अभी भी जब याद आते हैं तो ऐसा प्रतीत होता है की सब केवल गरीबों को लूटने के लिए ही वायदे किये जाते हैं, उनको सार्थक करने के लिए कोई नहीं।
       !!*!! जय हिन्द !!*!! जय भारत !!*!!

              ~~~ अंगिरा प्रसाद मौर्या।

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