रविवार, 22 जून 2014

लखनऊ में भाजपा वालों का धरना प्रदर्शन शुभ संकेत नहीं!

जब धरना प्रदर्शन करके ही सपा वालों को दंड दिलाना था तो पथराव के पहले ही पुलिस को दिया जाना चाहिए था सन्देश।
सीधी सी बात है ताली एक हाथ से कभी नहीं बज सकती।
जब भाजपा वालों को यह ज्ञात हो गया कि सपा पक्ष रेल किराये में बढ़ोत्तरी को लेकर श्री प्रधानमंत्री जी का पुतला जलना चाहती है तो, तुरंत पुलिस को सन्देश देते ! पथराव करने की क्या जरूरत थी?

और फिर श्री राष्ट्रपति जी ने अपने अभिभाषण में भी स्पष्ट कर दिया कि आखिर क्यों बढ़ा रेल का भाड़ा। उन्होंने केंद्र सरकार की नीति और प्रस्ताव को भी साफ़ बताया।

ऐसे में अगर पुलिस से ही काम करवाना था तो उनके लिए सिर्फ पुलिस को सन्देश भेजना ही पर्याप्त था। जब आपस में ही मामला सुलझाना था तो पुलिस अधीक्षक कार्यालय के सामने धरना प्रदर्शन क्यूँ ? जब जानकार लोग ही गलतियाँ करेंगे तो आम जनता क्यूँ नहीं करेगी।

उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार है और केंद्र में बैठी भाजपा सरकार है। ऐसे में भाजपा वालों का धरना प्रदर्शन या तो अपनी ताकत को आँकना है या तो सत्ता का नशा कहा जा सकता है।

ये आपस में अराजकता के संकेत हैं शुभ संकेत कभी नहीं हो सकते। जब देश की बागडोर किसी विशेष व्यक्ति के हाथ में गयी है तो ऐसे में सत्ता के सभी अधिकारीयों सूझ-बूझ से ही कदम उठाना चाहिए। जल्दबाजी सदा से ही घातक सिद्ध हुई है।

आपका शुभचिन्तक- अंगिरा प्रसाद मौर्या।

!!*!! जय हिन्द !!*!! जय भारत !!*!!
        !!*!! वन्दे-मातरम् !!*!!

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