रविवार, 10 मई 2020

योगीजी का सराहनीय प्रयास

कानूनों में बदलाव करने पर कुछ लोग आज छाती पीटते हुए दिखाई दे रहे हैं, आइए इनकी मनसा 3 बिन्दुओं पर समझते हैं।

1. मजदूर यूनियन : ये मजदूर यूनियन किसका पालन पोषण करते हैं? अगर मजदूरों का करते तो क्या आज उनकी ये हालत होती ? एकाध यूनियन को छोड़ दें तो अधिकांश अपने फायदे के लिए ही यूनियन बनाते हैं, राजनेताओं से भी मिले होते हैं, बिना पैसे का आपको सदस्यता नहीं देते, ये कंपनियों का फायदा नहीं केवल अपना ही फायदा देखते हैं। - ये सब अब योगीराज में सम्भव नहीं !

2. अधिकांश मजदूरों ने आज ये हालात बना लिए हैं जिनको पता तो रहता है कि उनका वेतन 10हजार है लेकिन वो बाजू वाले को देखकर 15हजार खर्च करते हैं और हमेशा एडवांस में रहना चाहते हैं, जिसमें कंपनियां अथवा ठेकेदार हमेशा जकड़ा हुआ रहता है अब जब कंपनी ही आगे नहीं बढ़ेगी तो मजदूर का वेतन कैसे बढ़ेगा ? लेकिन मजदूर ये चाहते हैं कि एक साल के बाद उनका पगार बढ़ना चाहिए, जबकि अधिकांश कंपनी तभी आगे बढ़ती हैं जब उनमें मजदूरों के कम से कम एक माह के वेतन का योगदान हो।

3. राजनीतिक और कानूनी दबाव के कारण कम्पनियां या तो आती नहीं हैं या फिर आई हुई कंपनियों की रीढ़ टूट जाती है, अब नौकरियों का अभाव तो रहता ही है और साथ ही कोई कितना भी टैलेंटेड क्यों न हो उसको भी गँवारों के ही वेतन मिलते हैं। जब पढ़े लिखे और गँवार एक समान हो जाते हैं तो अधिकांश युवाओं की पढ़ने लिखने की रुचि ही समाप्त हो जाती है। अब यहाँ पर 95% विद्यार्थियों की मानसिकता गँवार ही रह जाने की होती है। ऐसे में सरकार में बैठे लोग अपने बच्चों को विदेशों में पढ़ाते हैं ताकि उनका सुपुत्र भी 95% में शामिल न हो जाए और वो अंग्रेजों की वही पढ़ाई पढ़कर आये जिससे अंग्रेजों ने फूट डालकर हमपर राज किया था। इस हिसाब से सत्ता का विशेषाधिकार केवल उनके ही परिवारों का ही होकर रह जायेगा। - जो अब योगीराज में सम्भव नहीं !
#अंगिरा_प्रसाद_मौर्य
#सबका_साथ_सबका_विकास
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🙏
जय श्री कृष्ण !