हे श्याम हिन्द में विपदा आयी, पुरी जाती नही सुनाई,
प्यार जिन्हें कभि किया था तुमने, बदले उसके है रुसवाई।
कालयवन को मार दिया था, हिन्द में उसकी फ़ौज थी आई,
अगणित का संहार किये थे, क्यूँ इनको दिए न मार गिराई,
गोरक्षा आदेश तुम्हारा, इनकी गौओं से कटुताई,
राजा भी हैं यहाँ के जितने, मांग को देते हैं ठुकराई।
हे कान्हा असहाय मैं क्यूँ हूँ, कुछ तो हमपर कर प्रभुताई,
एक एक को गिनकर मारूँ, ऐसी देता प्रकृति बनाई,
~~~~~~~~~अंगिरा प्रसाद मौर्या
दिनाँक:- २०/०३/२०१४
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