बुधवार, 2 अक्तूबर 2013

भ्रष्टों तुम्हारी कुटिलता बहुत हुई अब

जल्द गूँजेगा जय हिन्द कसम खाके कहो,
हिन्द में रहते हो तो जय हिन्द मुस्कुराके कहो।।

लुट रहा है अमन-चमन की भूल नहीं पाओगे,
रो रहा व्योसायी तो तुम ठहर नहीं पाओगे,
शंखनाद हुआ है की आज पश्चिम से,
पूरब से उदय होगा तो वहीँ पे जल जाओगे।।

तुमने बढ़ाये अत्याचार छुप के खेला खूब पिकोल,
टूटी तुम्हारी नहीं जुटेगी दमदार लगा लो फेविकोल,
सपूत हिन्द का समझ गया है पहन सको ना कोई चोल,
"मौर्य"अडिग है सत्य के पथ पर भले ही बदलो अपनी गोल।।

हिन्द विश्व का श्रेष्ठ संस्कृती इसे धूमिल ना होने देंगे,
मातृभूमि के रखवाले हम कभी इसे ना रोने देंगे,
"हिन्द सपूत" हैं लिए प्रतिज्ञा,हर शाम का बदला सबसे लेंगे,
कल लायेंगे नई सुबह फिर,पर रात्रि तुम्हें ना सोने देंगे।।
~~~~~~~~~अंगिरा प्रसाद मौर्या
०२/१०/२०१३
~~~~~~~~~APM
।।जय हिन्द।। वन्दे-मातरम।।