शनिवार, 21 जून 2014

श्री प्रधानमंत्री जी की सोच और हमारा दृष्टिकोण

मैं श्री मोदी जी के अमूल्य विचार/निर्देश से पूर्ण सहमत हूँ की योजनाओं के नाम बदलने मात्र से योजनाएँ सफल नहीं हो जाती अपितु सत्ता पक्ष उसका क्रियान्वित कैसे करता है ये मायने रखता है।
*********

किसी जगह अथवा विशेष स्थल का नाम वहाँ के स्थानीय पुजनीयों के नाम से ही होने चाहिए, किसी पार्टी विशेष के पीढ़ियों से नहीं ।
उनकी यह बात भी हमको बहुत उत्तम लगती है।
*********

अब चलते हैं अपनी संस्कृति और सभ्यता की ओर :-

जिस देश की जो मूल भाषा होती है वहाँ के प्रत्येक व्यक्ति में उस भाषा के प्रत्येक शब्द के आशय अथवा अर्थ का तत्व विद्यमान होता है, चाहे वह भले ही कम पढ़ा लिखा अथवा अनपढ़ हो।
*******

जैसे हमारी हिन्दी के एक शब्द "रोचक" को ही ले लीजिये । इसका आशय क्या है? यह सभी हिंदी भाषियों को बिना बताये स्पष्ट हो जाता है इसमें संदेह नहीं किया जा सकता।
फ़िलहाल मुख्य विषय की चर्चा ज्यादा उचित होगी।
*******

ऐसी स्थिति में मैं समझता हूँ कि कोंग्रेस जो बदलाव भूल गयी थी, भारत को आजादी के बाद जो एक नया रूप देना भूल गयी थी, उसे श्री मोदी जी को करना चाहिए और इस प्रकार के छिपे बहुत से तत्वों पर विचार भी करना चाहिए। हमारा ऐसा मत है कि इससे भारत की सामाजिक स्थिति में काफी कुछ सुधार हो सकता है।
*******

हमारे यहाँ न्यायालय को कभी कोर्ट नहीं कहना चाहिए, क्योंकि इससे शिक्षा के क्षेत्र में जो आम व्यक्ति हैं उनको इसका आशय सपष्ट नहीं हो पाता।
हमारे यहाँ न्यायधीश अथवा दंडनायक को अभी तक भी जज कहा जाता है, इससे जज के शिक्षित होने की वजह से भले ही वह अपनी पदवी का आशय समझता हो परन्तु और व्यक्तियों के लिए इसका आशय स्पष्ट नहीं होता।
न्यायधीश को आर्डर-आर्डर की जगह उचित शब्द को प्रयोग में लाना चाहिए, जिससे लोग डर के मारे नहीं अपितु उनका कथन सुनके और उसका आशय समझके सावधान हों।
*******

हमारे यहाँ पुलिस को पुलिस नहीं अपितु रक्षक घोषित होना चाहिए, जिससे पुलिस को भी यह ज्ञात हो सके कि वे आरक्षी हैं, और जनता में भी उनसे डर के जगह लगाव उत्पन्न हो सके।
उनके कार्यालय अथवा गृह को कदापि पुलिस स्टेशन नहीं लिखना चाहिए अपितु उचित शब्दों का प्रयोग करना चाहिए।
अब लेख बहुत बड़ा हो रहा है अतः यहीं विराम देते हैं।
*********
!!*!! जय हिन्द !!*!! जय भारत !!*!!
___________________________
आपका शुभचिन्तक- अंगिरा प्रसाद मौर्या।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें