शनिवार, 17 दिसंबर 2016

चुनावी नारा

बहुत लुटा है यूपी अबतक,

बनने की अब बारी है !

गांव-गांव में कमल खिलेगा,

#केशव की तैयारी है !

#अंगिरा_प्रसाद_मौर्य
#बीजेपी

बीजेपी का नारा

बीजेपी की क्या तैयारी ?
देशहित है हमको प्यारी !

गांव-गांव में कमल खिलेगा !
यूपी को अब अमन मिलेगा !

#अंगिरा_प्रसाद_मौर्य
#बीजेपी

सोमवार, 1 अगस्त 2016

यूपी चुनाव

#उत्तरप्रदेश_चुनाव,

पूरे उत्तर प्रदेश में तीन पार्टियों #बीजेपी, #सपा और #बसपा के अतिरिक्त और कोई भी विजय नहीं प्राप्त कर सकता !

ऐसे में सभी लोगों से हमारा यही #निवेदन है कि आप अन्य सभी पार्टियों को छोड़ इन्ही तीनो पार्टियों पर ध्यान दीजिए।

हमने बसपा का शासन देखा इस शासन व्यवस्था में केवल #जातीय समीकरण ही चलते हैं। इसमें #गुंडाराज नहीं है। ये पैसों का #अपव्यय करने वाली पार्टी है। ये परिवारवादी नहीं #जातिवादी पार्टी है।

हम सपा का शासन देख ही रहे हैं। इसमें जातीय समीकरण चल रहा है, इसमें गुंडाराज है, ये पार्टी #सैफई #अपव्यय के नाम से प्रसिद्द है, यह पार्टी #परिवारवादी पार्टी है।

अब हमें भाजपा को देखना है, किसी समय में यह पार्टी #ब्राह्मणवादी हुआ करती थी! किन्तु अब इस पार्टी की #सूरत बदल गई है। अब इस पार्टी के #नायक #महानायक आदि लोगों में ब्राह्मणों की कमी आई है। यह पार्टी #राष्ट्रवादिता के नाम से #सुप्रसिद्ध है। इसमें जातीय समीकरण नहीं चलते हैं। यह एक #मानवतावादी पार्टी है।

#विशेष #टिप्पणी : यदि आप बसपा और सपा सरकार नहीं चाहते हैं तो आप छिटफुट पार्टियों से चिपकने के बजाय आप #भाजपा से ही चिपकिये। अन्यथा वही होगा जो आप नहीं चाहते हैं, अर्थात् एक बार पुनः आप "मुलायम सरकार को झेलने पर #विवश हो जायेंगे।

#गाँऊटी कहावतें : १. जब धन देखै जात, तब आधा लईले बाँट।

२.  न नौ नकद न तरेह उधार।

-------- अंगिरा प्रसाद मौर्य।
दिनाँक : ०२/०८/२०१६   #मौर्य

हिन्दू दलित और धर्म

#दलितों #पिछड़ों को किसी और कौम में जाने की कोई आवश्यकता नहीं है।

किसी भी #ग्रन्थ में नहीं लिखा है कि #दलित मन्दिर में नहीं जा सकता !

#ईश्वर केवल मन्दिर में ही नहीं हर कण में है, आपके मन में भी है।

यदि #ब्राह्मणवाद दलितों को कहीं जाने से रोकता है तो ये उसकी गलती है, वह #ढोंग कर रहा है।

#धर्म कोई #व्यापार #व्यवसाय नहीं है कि इसका कोई ठेकेदार होगा! यह तो जीवन जीने का एक #सुगम मार्ग है।

आप अपने घर में मंदिर बनाइए, आप #ब्राह्मणों का निर्देश न मानिए, आप ग्रन्थों, गीता आदि से शिक्षा लीजिए, उसमें कोई #भेदभाव नहीं है।

ये जो कुछ #लोग आगे आकर के कहते हैं कि यदि उन्हें #मन्दिर में प्रवेश नहीं मिला तो वे मुसलमान बन जायेंगे, वे ईसाई बन जायेंगे। ये वही लोग हैं जिनकी #चाटुकारिता की दुकानें 2014 #लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद से ही बन्द पड़ी हैं।
आप इनके बहकावे में न आएं !

धर्म को #जेल अथवा #कारागार न समझें !

धर्म जीवन को सुगम बनाने का उपयुक्त निर्देशक है।

धर्म एकता की कुँजी है।

धर्म ही #मानवता की परिभाषा है।

--------- अंगिरा प्रसास मौर्य #मौर्य
#दिनाँक : ०२/०८/२०१६

बीजेपी के लिए यूपी चुनाव का नारा

बीजेपी का सुन्दर नारा,

हिन्दुस्तान हमें है प्यारा,

यूपी में बीजेपी लाएँ,

भारी मत हमको पहुंचाएं,

२४घण्टे बिजली होगी,

सड़कें और भी सुधरी होंगी,

यूपी भी उद्योगजगत में,

अपना परचम लहरायेगा,

गांव-गांव का हर युवा जब,

रोजगार पर लग जायेगा,

भारत विश्व-विजय रथ को,

यूपी ही अब पार करेगा,

बीजेपी का शासन होगा,

मानवता की बात करेगा,

दिनाँक :०१/०८/२०१६

बीजेपी समर्थक : अंगिरा प्रसाद मौर्य

सोमवार, 4 जुलाई 2016

कौन है युवा

युवा उसे नहीं कहते जो किसी प्रचारित विचारधारा के पीछे भागने पर विवश रहे !

युवा उसे कहते हैं जिसके पास अपने विचार हों समाज के प्रति !

युवा उसे कहते हैं जो क्रांतिकारी विचारधारा रखता हो अपने देश के प्रति !

युवा उसे कहते हैं जो अनैतिकता के विरुद्ध दृढ़ता से खड़े होने का साहस रखे !

लोगों की समझ और युवाओं की हानि

हमारे देश में फिल्म और फिल्मवालों को इतना सम्मान दिया जाता है कि न जाने कितने युवाओं के मन में हीरो-हीरोइन बनने के सपने बैठ जाते हैं।

परिणाम यह होता है कि लड़कों को कोई रोल मिला तो मिला नहीं तो जीवन भर फिल्मसिटी का चक्कर काटते रह जाते हैं।
और न जाने कितनी लड़कियों को दिलासा देकर उनका शोषण किया जाता है।

पता नहीं हमारे देशवासियों को कब समझ आएगा ये सब !

रविवार, 6 मार्च 2016

भारत को इण्डिया क्यों कहा जाता है ?

उत्तर प्रदेश को अन्स्वर स्टेट नहीं कहा जाता है
मध्य प्रदेश को सेंटर स्टेट नहीं कहा जाता है
हिन्दुस्तान को हिन्दू नेशन नहीं कहा जाता है
फिर
भारत को इण्डिया क्यों कहा जाता है ?

हमारा ये प्रश्न किसी एक से नहीं सभी से है !

हमारा लक्ष्य कहाँ से कहाँ पहुँच गया है

हमारा लक्ष्य भविष्य होना चाहिए न कि क्रिकेट मैच !

हमारे भारत में जितनी बड़ी समस्या बेरोजगारी और प्राकृतिक आपदा से जूझना तथा निर्धनता है उसके सामने ग्यारह लोगों द्वारा खेले जाने वाले क्रिकेट की हार जीत कुछ भी नहीं है ।

पूरे राष्ट्र को ये सोचना पड़ेगा कि ये बेरोजगारी और दरिद्रता कैसे दूर होगी ! मात्र नेताओं के सोचने से कुछ नहीं होने वाला है।

कोई भी ये न सोचे कि आज उसकी आर्थिक स्थिति अच्छी है तो यथावत बनी रहेगी! यह मात्र एक भ्रम हो सकता है किन्तु इसमें सत्यता १% भी नहीं !

यदि हमारा समाज परिपक्व होगा धनवान होगा तो कल को हमारी लाठी अथवा हमारा सहारा बन सकता है किन्तु यदि समाज ही दरिद्र रहेगा तो एक दिन सब लोगों को ये दरिद्रता का रोग संक्रमित कर देगा !

#वन्दे_मातरम् !

गुरुवार, 18 फ़रवरी 2016

देश, देशहित एवं देशद्रोह

आज के परिदृश्य में एक देश इस संसार की एक महत्वपूर्ण इकाई है। देश की तुलना हर प्रकार से गॉवों एवं राज्यों से नहीं की जा सकती।
किसी भी देश का अपना एक इतिहास है। इसी प्रकार हमारे देश भारत का भी अपना इतिहास है। इसका सबसे महत्वपूर्ण इतिहास "महाभारत" के नाम से प्रसिद्ध है।
महाभारत के समय में राजतन्त्र था किन्तु आज प्रजातंत्र है। फिर भी इतिहास सीखने के लिए होता है अतः हमें तुलनात्मक दृष्टि से अवश्य सीखना चाहिए।

महाभारत में ,
दुर्योधन की विचारधारा युधिष्ठिर की विचारधारा के विपरीत थी। दुर्योधन की विचारधारा दुराचारी थी और युधिष्ठिर की विचारधारा सदाचारी।

अब चूँकि दुर्योधन के पिता "धृतराष्ट्र" राजा थे इसलिए उन्होंने दुर्योधन के विचारों का पौष्टिकता से पालन-पोषण किया।
पूरे राज्य में दुर्योधन की ही चलती थी इसीलिए अधिकांश कर्मचारी भी अधिकांश पदों पर दुर्योधन की विचारधारा वाले ही नियुक्त हुए।

युधिष्ठिर पाँच भाई थे उनके पिता का नाम "पाण्डु" था इसीलिए उन्हें "पाण्डव" कहा जाता था। दुर्योधन के 100 भाई थे उसके पिता आँख और मन दोनों से ही अंधे थे इसलिए इन्हें "धृते" नहीं कहा गया।

दुर्योधन ने पाण्डवों के विनाश की बहुत बार कूटनीति और रणनीति बनाई किन्तु पाण्डवों का कुछ नहीं बिगड़ा। परंतु सामान्य जनमानस के मन में बहुत ही कष्ट हुआ।  
युधिष्ठिर के भाई भीम और अर्जुन ने कई बार युधिष्ठिर को युद्ध करने की प्रेरणा दी किन्तु युधिष्ठिर सदाचार के उस सागर में तैर रहे थे जहाँ युद्ध करने की इच्छाशक्ति ही नहीं उत्पन्न होती।

अब जनता एवं युधिष्ठिर के चारो भाइयों का मन दुखी होते गया और आक्रोश भी बढ़ते गया। अंततः जीवन मूल्यों की रक्षा करने के लिए युद्ध ही अंतिम मार्ग बचा।
अब युद्ध छिड़ा और पूरे पृथ्वी के 65% राजा एवं 75% सेनाएँ दुर्योधन की ओर गयीं तथा बचे हुए पाण्डवों के पक्ष में। बहुत ही भयानक युद्ध हुआ अन्त में तमाम राजाओं सहित दुर्योधन मारा गया और सदाचार की विजय हुई।
यहाँ पर महत्वपूर्ण यह है कि युद्ध के उपरान्त ही सदाचार को विजय मिली। युद्ध नहीं किये होते तो कुछ भी नहीं मिलता यहाँ तक कि जीवन-मूल्यों को गिरवी रखकर कायरों की भाँति या तो जीवित रहते या फिर आत्महत्या कर लेते।

आज के भारत में,

आज तो अधिकांश लोगों को ये भी नहीं पता कि हमारे देश का नाम "भारत" है। आप "इण्डिया" कहो सब समझ जायेंगे किन्तु भारत कहो तो बहुत कम लोग जान पाते हैं। ऐसे में अपने देश का इतिहास सब लोगों का जान पाना कदाचित सम्भव नहीं है।

फिर भी हमें तुलना तो करना ही चाहिए क्योंकि हम तो देश का नाम और इतिहास दोनों ही जानते हैं।

भारत जबसे स्वतंत्र हुआ देश में कांग्रेस राज कर रही थी। लगभग 60 वर्ष तक कांग्रेस ने शासन किया।

वह कांग्रेस जिसने उन गांधीजी को राष्ट्रपिता केवल इसलिए बनाया जिससे धर्म के आधार पर वोटों का ध्रुवीकरण होते रहे।

अब लोग कहेंगे कि गांधीजी और वोटों के ध्रुवीकरण का सम्बन्ध क्या ?

तो उसका उत्तर : गांधीजी वो उदारवादी व्यक्ति थे जिनकी उदारता मात्र मुस्लिमों के लिए थी। गान्धीजी वे अहिंसावादी व्यक्ति थे जो मुस्लिमों को हिन्दुओं पर हिंसा के लिए प्रेरित करते थे। पाकिस्तान कश्मीर पर हमला करता था और गांधीजी उसे 55करोड़ रूपये देने के लिए आमरण अनशन करते थे। एक ओर जहाँ कश्मीर में मुस्लिम बहुलता के चलते वहाँ के राजा को सन्यास पर भेज दिए वहीँ दूसरी ओर हैदराबाद में हिन्दू-बहुल होने पर मुस्लिम शासन का समर्थन किये।
आप इतिहास पढ़ेंगे तो आपको और भी प्रमाण मिलेंगे।

ये वही कांग्रेस है जिसने नाथूराम गोडसे को फाँसी दिलवाकर अपने राष्ट्रपिता के अहिंसावादी नीति का मजाक उड़ाया है।

ये वही कांग्रेस है जिसके मंत्री अब पाकिस्तान में तख्तापलट की नीति सीखने जाते हैं। जिससे सरकार जल्दी बदले और इनकी सरकार आये तथा ये कश्मीर पाकिस्तान को दे सकें !

कुल मिलाकर देखें तो दुराचार का दूसरा नाम कांग्रेस ही है।

कांग्रेस का शासनकाल अधिक होने के नाते अधिकांश पदों पर बैठे पदाधिकारी भी उसी की विचारधारा वाले हैं।

कांग्रेस ने अब एक और नया रास्ता अपना लिया है। वो है देशद्रोहियों को संरक्षण देना। कहीं न कहीं कांग्रेस और देशद्रोहियों का वैसा ही सम्बन्ध है जैसा धृतराष्ट्र और दुर्योधन का था।

गांधीजी के समय में जब भारत सरकार ने पाकिस्तान को 55 करोड़ न देने का निर्णय किया तो गांधीजी आमरण अनसन पर बैठ जाते थे।

और आज जब भारत सरकार देशद्रोहियों पर कार्यवाही करती है तो कांग्रेस आमरण अनसन पर बैठ जाती है। कहीं न कहीं ये कांग्रेसी गाँधीजी की शिक्षा का अनुचित उपयोग कर रहे हैं। 

गांधीजी अपने वचन का मान रखने के लिए अनसन करते थे और कांग्रेसी सत्ता पाने के लिए सड़क जाम कर देते हैं।

मेरा हृदय इतना पीड़ित है कि यदि मेरे पास युध्द का कोई साधन होता तो कांग्रेसियों और देशद्रोहियों पर तुरन्त आक्रमण कर देता भले ही नाथूराम गोडसे की तरह एक दिन लोग हमे भूल जाते किन्तु मै जीवन मूल्यों को बेच नहीं सकता।

विडंबना तो ये है कि मै सुझाव लिखने के अतिरिक्त और कुछ कर भी नहीं सकता। चूँकि मैं हिन्दू हूँ इसलिए अवैध रूप से अनैतिक काम भी नहीं कर सकता। फिर भी न जाने क्यूँ हमें लगता है कि इस समय युद्ध से बढ़कर न तो कोई विकल्प है और न तो कुछ उससे नैतिक।

जिस दिन जे एयू में आतंकवादियों ने अफजल गुरु की बरसी मानाने का कार्यक्रम रखा था उसी दिन कन्हैया कुमार भी आजादी के नारे लगा रहा था। और बवाल मचने के बाद दूसरे दिन जब उसने अपना वीडियो सूट ये कहते हुए किया कि "हमे कानून पर पूरा भरोसा है हम संविधान में विश्वास रखते हैं"। उस दिन भी उमर खालिद उसके साथ था। और जब कन्हैया कुमार और उमर खालिद दोनों के विचार विपरीत हैं तो पहले ही दिन ज़ी न्यूज़ पर कन्हैया कुमार और उमर खालिद दोनों ही आये थे। कन्हैया कुमार ने बीजेपी और आरएसएस तथा एबीवीपी का विरोध तो किया किन्तु खालिद का विरोध नहीं किया। गौरतलब है कि उमर खालिद ने भी कन्हैया से किसी भी प्रकार का विरोधभास प्रकट नहीं किया। यदि कन्हैया देशद्रोहियों के साथ नहीं था तो उसे पुलिस में fir करवाने चाहिये थे। उसने ऐसा नहीं किया इसलिये वह भी देशद्रोही ही है। और इसीलिए कन्हैया कुमार गिरफ्तार हुआ है।
अब राहुल बाबा कहते हैं कि सरकार निर्दोषों को गिरफ्तार करवा रही है। 10 छात्रों के चलते आरएसएस वाले पूरे jnu का नाम ख़राब कर रहे हैं।

अब मैं राहुल बाबा को बिन मांगे सुझाव देता हूँ कि, जिस jnu के नाम की चिन्ता आपको सता रही है उसी jnu के छात्रसंघ का अध्यक्ष कन्हैया कुमार भी तो उस समय वहाँ उपस्थित था जब jnu का नाम ख़राब हो रहा था। और jnu प्रशासन भी सबकुछ देख रहा था। 

ऐसे में जवाबदेही सरकार की कम और कन्हैया कुमार तथा jnu प्रशासन की अधिक है। अतः आप(राहुल जी) सरकार को कम और jnu प्रशासन तथा कन्हैया को ज्यादा टारगेट करें ! समझे !

अब मित्रों हमारा आप सब से यही निवेदन है कि आप भी बताएँ सबसे अधिक दोषी कौन ?
1. कांग्रेस पार्टी
2. सरकार
3. कन्हैया कुमार
हमने जो लिखा है आप उसके आधार पर उत्तर न दीजियेगा । आप अपने ज्ञानानुसार उत्तर दीजिए।
आपको जो उचित लगे आप वही बताइये। हम भी #पन्थ_निरपेक्ष व्यक्ति हैं।

१८/०२/२०१६
आपका शुभचिंतक : अंगिरा प्रसाद मौर्य

रविवार, 14 फ़रवरी 2016

भाजपा की सरकार, विपक्षी दल एवं वोट बैंक

हमारा देश भारत आज उस चौराहे पर खड़ा है जहाँ पर नेतागणों को ये नहीं समझ आ रहा है कि इसको किस ओर ले जाना है,

पहला रास्ता : घोटालेबाजी, जातिवादिता, धर्मनिरपेक्षता  एवं उतार चढ़ाव वाला है जिससे होते हुए हम चौराहे पर पहुँचे हैं।

दूसरा रास्ता : ठीक उसके सामने वाला हैं जिसमें उतार चढ़ाव तो हैं किन्तु यहाँ प्रसासन के नियमों का उलंघन नहीं है और देशविरोधी विचारों का स्थान भी नहीं है।
यहाँ विभिन्न प्रकार के कथित धर्म नहीं हैं। यहाँ राष्ट्रधर्म ही सर्वोपरि है
यह रास्ता वही नाप सकता है जो आत्मविश्वासी एवं दृढ विचारों वाला हो।
इस रास्ते पर चलने वाले की विशेषता ये है कि वो अपने सगे-सम्बन्धियों के चलते भ्रष्टनीतियों एवं दुराचार से समझौता नहीं करता हो।
इस रास्ते पर आप जितने आगे चलते जाओ उतनी ही सकारात्मकता प्रतीत होने लगती है।

तीसरा रास्ता : ये वो रास्ता है जो बायीं ओर मुड़ा हुआ है। इसमें उतार चढ़ाव और भी अधिक है।
यहाँ पर व्यभिचारी और दुराचारी व्यक्ति सर्वश्रेष्ठ है।
इस मार्ग पर जितने आगे बढ़ते जाओ घोटालेबाज और भ्रष्टाचारी आपके सगे-सम्बन्धियों में ही मिलते जायेंगे। इसी मार्ग में वोट बैंक तथा आपसी मतभेद के चलते गृहयुध्द एवं कलह का जन्म हो जाता है, या यूँ कहें घोर कलियुग को यही रास्ता जाता है।
संसार के अधिकांश देश इसपर आगे बढ़ चुके हैं।
भारत की की दृष्टि भी इसी ओर घूम चुकी है किन्तु अभी एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा है।

चौथा रास्ता : ये ठीक दाहिने ओर है। इस पर जितने आगे चलते जाओगे देश के राज-देश के उतने टुकड़े होते जायेंगे ।
और आगे चलकर तानासाही का युग आएगा, भिन्न-भिन्न कथित समुदाय के लोगों की भिन्न-भिन्न राजधानियाँ होंगी। एक दिन एक-दूसरे से सब भिड़े हुए होंगे और जब घोर कलियुग के रास्ते पर चलकर कुछ लोग ऊब चुके होंगे तो पीछे से आएंगे कटुताएं और बढ़ाएंगे तथा एक दूसरे को लड़ाकर सबपर राज करेंगे ।

ये रहा वर्तमान और भविष्य का विश्लेषण।
                                  *********

अब वर्तमान सरकार को सुझाव अथवा निर्देश :-

हम केन्द्र सरकार की बात कर रहे हैं!

सरकार को भी यह ज्ञात है कि उसे वोट किसने दिया, क्यों दिया और कैसी छवि के चलते दिया ।

यदि सरकार के कुछ नेता अथवा मन्त्री या फिर पूरी सरकार उस छवि को अच्छी नहीं समझ रही है तो यह उसका भ्रम है।

यदि सरकार उस कारण को अन्तर्राष्ट्रीय बुराई मानती है तो आने वाले समय में इसे या तो विदेश भाग जाना होगा या फिर यहीं पर गुलाम बनकर रहना होगा।

जनता ने सरकार को जो अधिकार दिया है जो आदेश दिया है उससे वह मुँह नहीं मोड़ सकती। यदि वह जनता को झुठलाने-बरगलाने में अपना समय व्यर्थ करेगी तो भविष्य में उसका दण्ड सरकार सहित जनता को भी सहना पड़ेगा।

चन्द विपक्षी विरोधियों के भीड़ इकट्ठे हो जाने से, सड़क पर उतर जाने से, धरना देने तथा मिथ्यारोप लगाने से जो विशाल सरकार डर जाती हो, वो न तो विकास पर एकचित्त हो सकती है और न ही सुसाशन की कल्पना कर सकती है।

और अब अंत में एक कहावत भी याद आ रहा है,
।। कुत्ते भौंकते रह जाते हैं और हाथी दुम हिलाते चली जाती है।।

     !!*!! इति !!*!! १४/०२/२०१६ !!*!!

।। आपका शुभचिंतक : अंगिरा प्रसाद मौर्य ।।

सोमवार, 4 जनवरी 2016

भारत माँ के वीरों को वीरता नमन

वीरों तुम्हें नमन करता हूँ,
चेत तुम्हें गगन भरता हूँ,
बलि को नहीं सहन करता हूँ,
मार्ग तुम्हारे नित चलता हूँ।

राष्ट्र-पूज्य के अधिकारी तुम,
राष्ट्र-ध्वजा के सहकारी तुम,
तुम ही भारत अधिकारी हो,
अनुपस्थिति-रुदन करता हूँ।

तुमने हम को खुशी दिया है,
हम तुमको क्या दे पाएँगे,
और नहीं कुछ मेरे बस में,
तुम्हें सतत नमन करता हूँ।

फिर आओ तुम वो विश्वासी,
साथ चलें हम भारतवासी,
पाक औ चीन ख़तम करना है,
पुनः उपज दमन करना है।

हमे नहीं एक क्षण की चिंता,
भारत-हृदय हमे बनना है,
फिर आओ तुम वो विश्वासी,
पुनः उपज दमन करना है।

"मौर्य" तुम्हारे साथ चलेंगे,
पहले अपने प्राण तजेंगे,
ऋण पूरा हमको करना है,
भारत-हृदय हमे बनना है।

यादों का मैं खनन करता हूँ,
अपवादों का दहन करता हूँ,
हमें सुरक्षित करने वालों,
तुम्हें सतत नमन करता हूँ,

नहीं कलम रोता है मेरा,
गर्व सदा अनुभव करता है,
भारतवीर कथाएँ लिखकर,
"मौर्य" सदा हँसकर रहता है।

देखा जग में राज्य बहुत मैं,
भारत जैसा राज्य नहीं है,
देश को अपनी माता कहते,
कहीं पे ऐसा साज्य नहीं है।

तुम्हें हृदय में मैं रखता हूँ,
सबमे तुम्हें चयन करता हूँ,
भारत माँ के वो रखवालों,
तुम्हें सतत नमन करता हूँ।
२६/०७/२०१४
   ~~~~~~~~~ अंगिरा प्रसाद मौर्या ।

!!*!! जय हिन्द !!*!! जय भारत !!*!!