सोमवार, 23 जून 2014

साईं कोई भगवान नहीं !

यदि कोई किसी में कमी बताकर अपने आप को बहुत अच्छा बताने की कोशिस करता है तो यह गलत बात है।
ठीक उसी प्रकार जैसे आस पास दो समान रेखाएँ खीचीं गयी हों और किसी व्यक्ति से कहा जाय कि इसमें से एक रेखा छोटी कर दो,
तो,
यदि वह उसमे से एक रेखा को यदि थोड़ा सा मिटा के छोटा बताना चाहता हो, तब वह कदापि बुद्धिमान अथवा विद्वान नहीं माना जा सकता।
यदि कोई,
उन्हीं दो सामान रेखाओं में यदि एक रेखा को थोड़ा सा जोड़ के बढ़ा देता है तो दूसरी रेखा स्वतः छोटी हो जाती यह और ऐसे व्यक्ति के बुद्धिमत्ता और विद्वता पर कदापि संदेह नहीं किया जा सकता।
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अर्थात हमें किसी भी परिस्थिति में सदैव आगे की तरफ चलना चाहिए, पीछे कदापि नहीं तो हम अपनी विद्वता और बुद्धिमत्ता का सही मायने में प्रदर्शन कर पायेंगे।
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अब बात रही ब्रिटेन की तो श्री स्वरूपानंद जी से हम पूर्ण सहमत हैं कि वह हम हिन्दुओं में फूट डालने की सदा से ही प्रयत्नरत है, और हमे उसके प्रयत्न को कभी सफल नहीं होने देना चाहिए यह सदैव ज्ञात रहना चाहिए।
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श्री साईं जी को समर्थन करने में जरूर उसका हाथ हो सकता है । क्योंकि ब्रिटेन आज भी इस बात से काफी दुखी है कि हम हिन्दुओं का सनातन इतिहास है और उसके पास उसका कोई भी पता नहीं।
वह हमारे इतिहास को तोप कर इजिप्ट और सीरिया के गढ़े हुए काल्पनिक इतिहास को वैज्ञानिक स्तर पर विश्व का इतिहास बताना चाहता है। लेकिन उन्हें क्या मालूम की हम सनातनी हैं और हमारे ही किसी एक परिवार से वे भी हैं, इसका कोई तार्किक अथवा वैज्ञानिक तोड़ ना ही है और न होगा।
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इसमें भी कोई दो राय नही कि जो धन साईं मंदिर के लिए खर्च हो रहे हैं वे धन हमारे परम प्रतापी परम पूज्य मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम मंदिर के लिए खर्च होनी चाहिए।
यह जरूर विदेशियों की कूटनीति ही हो सकती है इसमें कोई दो राय नहीं।
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किन्तु,
आज ये सब कार्य सुचारू रूप से पूरे करने के लिए हमें जरूरत है अपने मन्त्रों को स्पष्ट और सिद्ध कर दुनियाँ को दिखाने की, जरूरत सादगी बताने की, जरूरत है अपनी अच्छी छवि बनाने की, दूसरे की छवि पर ऊँगली उठाने की नहीं।

!!*!! जय हिन्द !!*!! जय भारत !!*!!

आपका शुभचिन्तक- अंगिरा प्रसाद मौर्या।

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