शुक्रवार, 13 जून 2014

सभी हिन्दी बोलने, पढ़ने एवं लिखने वालों को हिन्दी-दिवस पर साभार/-

हिन्दी मेरी भाषा है,
नहीं और से आशा है,
एक तिनका अपवाद नहीं है,
रंग हजारों रूप वही है।

रस चाहे जितना तुम लेलो,
शब्दों की बगिया में खेलो,
जीत बड़ी है जहाँ में हिंदी,
मिले नहीं इसको प्रतिद्वंदी।

शोभा सी यह सजी हुई है,
सूरज जैसी शीघ्र रही है,
परिचय इसका बहुत है लम्बा,
नहीं बीच में आता खम्बा।

"मौर्य" प्रतिष्ठा की सहकर्मी,
जननी है तूँ नहीं है जन्मी,
हम तोहे परनाम करत हैं,
भारत तोहे शान बसत हैं।
~~~~~~~~~ अंगिरा प्रसाद मौर्या
दिनाँक___ १३/०६/२०१४
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!!*!! जय हिन्द !!*!!
!*! वन्दे-मातरम !*!

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