शनिवार, 27 सितंबर 2014

जय भारत

क्षतिपूर्ति और दंडात्मक कार्रवाई की मांग करने वाली 28 पन्नों की शिकायत में मोदी पर मानवता के खिलाफ अपराध करने, न्यायेत्तर हत्याएं करने, पीड़ितों (जिनमें से अधिकतर मुस्लिम हैं) को प्रताड़ित करने और उन्हें मानसिक एवं शारीरिक आघात पहुंचाने के आरोप हैं। एजेसी के अध्यक्ष जोसेफ व्हाइटिंगटन ने कहा कि मोदी तक सम्मन पहुंचाना आसान नहीं होगा, लेकिन यह वर्ष 2002 के दंगा पीड़ितों के लिए प्रतीकात्मक विजय होगी।

पन्नुन ने कहा, ‘प्रधानमंत्री के रूप में मोदी को उन कार्यों के लिए छूट होगी जो उन्होंने प्रधानमंत्री के तौर पर किये लेकिन उन कार्यों के लिए यह छूट नहीं होगी जो उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर किए जिस समय दंगे हुए थे।’---media reporter.
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इसे ही कहते हैं कूटनीति, अथवा दूसरे शब्दों तुच्छ विचार अथवा भावनाएँ।

मित्रों आपसे भी हमारा एक बहुत सीधा सा प्रश्न है ?
क्या न्यूयार्क के न्यायलय को बराक ओबामा के प्रति सम्मन नहीं जारी करना चाहिए ? जो isis के इराकी मुस्लिमों पर बमबारी कर रहा है।

हमारा मत है की यदि भारत सरकार तक अथवा किसी भारतीय नेता तक ऐसे प्रश्न आयें और उस पर उत्तर माँगे जाएँ तो उसे पढ़ना तो चाहिए, किन्तु उत्तर में उन नकली अथवा औपचारिक दस्तावेजों को फाड़कर सार्वजनिक रूप से उस पर थूक देना चाहिए।
तब पता चलेगा की चोट अथवा दर्द क्या होता है और कितना कड़वा होता है, तथा उसके प्रतिकार हेतु कैसी पहल करनी चाहिए और कैसी की गयी।
हमें तो न्यूयार्क के मानवाधिकार वाले दानवाधिकारी स्वभाव एवं संस्कार से लगते हैं।

आप भी अपने विचार अवश्य दें

भारतीय शुभचिन्तक- अंगिरा प्रसाद मौर्य।

सोमवार, 1 सितंबर 2014

पाकिस्तानी हिन्दू और पांडित्य

पांडित्य के चलते पाकिस्तान में आज भी हिन्दुओं में दलित वर्ग के लोगों के साथ अन्याय हो रहा है।

भारत की स्थिति तो लगभग ठीक हो गई है। भारत के लोग अब जागरूक हो चुके हैं। किन्तु पाकिस्तान में रहने वाले हमारे सम्बन्धी कथित हिन्दुओं में आज भी कटुताओं का स्थान प्रबल है। छुआछूत प्रबल है।

पाकिस्तान में केवल मुसलमान ही नहीं अपितु कथित ऊँची जाति के हिन्दू भी अपने कथित दलित भाइयों को प्रताड़ित करते हैं। वहाँ पर भोजनालयों में नीची जाति के लोगों को या तो साथ में बर्तन(पात्र) लेकर जाना पड़ता है या फिर अलग कोने में रखे हुए बर्तनों में उनको खाना देकर सबसे अलग स्थान पर बैठाया जाता है और बाद में बर्तन धोकर जाने की बाध्यता भी है, किन्तु पैसे पूरे अदा करने पड़ते हैं।
विचारणीय यह है कि मुद्रा उतने ही अदा करने हैं तो घृणित स्थान क्यूँ ? व्यंग और ताने क्यूँ ? और फिर बर्तन क्यूँ धोएँ ?

लेकिन भारत का कोई भी पंडित जातिवादिता का खंडन नहीं करता। हमसे सम्बन्ध रखने वाले पाकिस्तानी हिन्दू भाइयों को कोई भी आश्वाशन नहीं देता कि अपने समुदाय के सभी लोग मिलजुलकर रहें एकता बनाएँ रखें।

आप समाचार पत्रों में रोज पढ़ते होंगे कि पाकिस्तानी हिन्दू भारत में शरण लेने प्रतिदिन यत्न-प्रयत्न कर रहे हैं, किन्तु भारत में उनके लिए कोई स्थान नहीं है। यहाँ कि कथित धर्मनिरपेक्ष पार्टियाँ मुसलमानों को आरक्षण देने में परेशान हैं। और मानवों के लिए उनके हृदय में कोई स्थान नहीं है वे तो चाहते हैं कि हिन्दुओं की जनसंख्या कम हो और भारत भी इराक में परिवर्तित हो जाए। उन्हें अन्य लोगों से क्या लेना वे तो बस वोट के भूखे हैं।

यदि ऐसा ही ही चलता रहा तो पाकिस्तानी मुसलमान पहले दलित हिन्दुओं की संपत्ति लूटेंगे उसके बाद जब ऊँची जाति वालों की संख्या नगण्य हो जाएगी तब इनको भी छोड़ेंगे थोड़े ही लात मार के भगा देंगे।

पाकिस्तानी नेता बार बार भारतीय मुसलमानों की दुहाई गाते हैं कित्नु भारतीय नेता एक बार भी पाकिस्तानी प्रताड़ित हिन्दुओं के अधिकार हेतु पाकिस्तान को सचेत नहीं करते। यदि एक बार भी भारत सरकार पाकिस्तानी हिन्दुओं के अधिकार की बात कर दे तो वहाँ रह रहे हिन्दू पूरे साहस के साथ लड़कर अपने अधिकारों को छीन लेंगे। भगवाधारी दिन के सूर्य से सम्बन्ध रखते हैं ! रात्री के चाँद से नहीं। जब सूर्योदय होता है तब चाँद का पता भी नहीं लगता।

लेकिन भारतीय राजनीतिग्य ऐसा नहीं करेंगे क्योंकि ऐसा कर देने से उनकी सेकुलरवादी छवि बिगड़ जाएगी।

ऐसा करने हेतु श्री योगी आदित्यनाथ जैसे भगवाधारियों की आवश्यकता है जो कहने में नहीं करने में विश्वास रखते हैं। भारत में ही नहीं पाकिस्तान से भी हिन्दुओं का अधिकार दिलाने की क्षमता वाला व्यक्ति ही भारत का प्रतिनिधि होना चाहिए।
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भारतीय शुभचिन्तक - अंगिरा प्रसाद मौर्या।
इस जानकारी को इतना शेयर करें कि प्रधान मंत्री तक पहुँच पाए।

हिन्द हितार्थ जारी /-
वन्दे-मातरम !

काल्पनिक और आधुनिक

काल्पनिक और आधुनिक में बहुत अंतर होता है और आज भी है ।

आधुनिक युग में जिस प्रकार विज्ञान कार्यरत है और अंतर्राष्ट्रीय माँग को देखते हुए हम यही कह सकते हैं कि आधुनिक विज्ञान आगे है और इसने बहुत बड़ी-बड़ी उपलब्धियाँ प्राप्त की हैं। विज्ञान नित्य उन्नत हो रहा है और नित्य उन्नत रहेगा ऐसा पूरा विश्व मानता है।

किन्तु काल्पनिक युग के समर्थक चंद भारतीय पंडितों के पांडित्य(पाखंड) की मानें तो इनका काल्पनिक युग आज के युग से श्रेष्ठ था। तब का विज्ञान अधिक उन्नत था। आज विज्ञान का पतन हो गया है ऐसा पंडितों का मत रहा है।

किन्तु ऐसा कुछ भी नहीं है । ज्ञान और विज्ञान ऐसी वस्तुएँ एवं इनमे ऐसे तत्वों का समावेश है कि ये सदैव उन्न ही रहते हैं। "जिस प्रकार प्रजनन से जनसंख्या वृद्धि होती रहती है उसी प्रकार नए नए व्यक्तियों के नए नए अभिव्यक्ति एवं व्यक्तित्वों के योग से ज्ञान विज्ञान की वृद्धि भी निश्चित है" यह तथ्य है।

परन्तु पंडितों की मानें तो ज्ञान और विज्ञान का नित्य पतन होता है। इनकी मान्यताओं और व्याख्याओं की मानें तो पहले के जितने पंडित थे वे अबतक सूद्र हो जाने चाहिए थे नहीं तो इनके द्वारा उपजी और उपजायी सारी मान्यताएँ निराधार हैं।

हमारा भारत बहुत पीछे गया था अभी तक बहुत सी विकृति हुई है तो इसके एक एव कारण भारतीय पंडित ही हैं।
यही वो पंडित हैं जिन्हें अपने पूर्वजों परशुराम आदि के मिथ्या मान्यताओं पर गर्व है।

यही वो पंडित हैं जिन्होंने सती-प्रथा का प्रतिपादन किया था(पुरुष का मृत्यु हो जाने पर उसकी पत्नी को आभुषणयुक्त करवा के जीवित अवस्था में मृत पति के साथ फूँक देना, और मध्य रात्री में जाकर सभी आभूषणों को श्मसान की राख से ले आना इत्यादि )।

यही वो पंडित हैं जिनके चलते आज देवनागरी भाषा का लुप्त हो जाना सम्भव है ( चंद इस्लामिकों ने उर्दू का इतना प्रसार किया कि आज पंडित वर्ग भी उर्दू शब्दों के प्रयोग हेतु बाध्य है। और यही पंडित समाज को सिद्धांत भी बताते हैं )

यही वो पंडित हैं जिनके ढोंगों के चलते ब्राह्मण वर्ग के उपरांत सभी इनसे घृणा का भाव रखते हैं।

भारत में अंग्रेज आये थे तो भगवान को बहुत बहुत धन्यवाद देता हूँ !
अंग्रेज न आये होते तो एक नई क्रांति का जन्म नहीं हुआ होता और आज भी भारत पर इन तुच्छ पंडितों का शासन होता। पूरा समाज प्रताड़ित होता।

आज की ही स्थिति देखलीजिये ! आज भी समाज कहीं न कहीं पर अंधविश्वासों में ही जी रहा है। जैसे विवाह के समय पंडित ही मंत्रोच्चारण करेगा तभी विवाह संपन्न होगा।

कैसी व्यवस्था है ?
जब मंत्रोच्चारण से ही विवाह संपन्न हो जाता है तो उसमे जाति पाति से क्या लेना ! कोई भी मन्त्र पढ़े और विवाह संपन्न हो जायेगा। शब्दों की कोई जाति तो होती नहीं है कि फला जाति का व्यक्ति ही फला शब्द बोल पायेगा।
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क्रमशः
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भारतीय शुभचिन्तक- अंगिरा प्रसाद मौर्या।
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!!*!! वन्दे- मातरम !!*!!