ये है एक कड़वी सच्चाई...!
मौत ने भला किससे प्रित निभाई..!
जो आया है वो जायेगा माटी का चोला..!
इक दिन माटी मेँ ही मिल जायेगा..!
एकता मेँ बल चल.. चल.. चल...!
तू नेकी नेकी करता जा....!
कोई सवाल न करता जा...!
खाली हाथ आया तू.....!
नेकी साथ लेता जा...!
आज है शाम तो कल होगी सुबह...!
तू राही है आगे-आगे बढ़ता जा...!
हो...धन्य मानव ! हे... धन्य प्रभु !
ये श्रष्टि तुझे देखने मिली ...!
श्रष्टि का तू धन्यवाद करता जा...!
तू नेकी नेकी करता जा....!!
कोई सवाल न करता जा....!!
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. ~~~~~~> मनीष गौतम "मनु"
२५/०६/२०१४
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