गुरुवार, 31 जुलाई 2014

महिला जागृति

पुरुषोदय भी जहाँ हुआ था, वहीँ से नारी उदित हुई है।
ममता की पहचान करे जो, जग में क्यूँ वो मुदित हुई है।

पति का ही भगवान यहाँ पर, पत्नी का भगवान नहीं है।
चरणोदक जो भी पत्नी है, जग में उसका मान नहीं है।

जग का तुम इतिहास उठा लो, नारी ही बस दमित हुई है।
ममता की पहचान करे जो, जग में क्यूँ वो मुदित हुई है।

भांति-भांति की नीति है जग में, सबमे नारी ही बस सहमे।
मनोदशा जो डरी हुई है, क्या कर कपड़े क्यूँ कर गहने।

नारी का अस्तित्व ही देखो, भावुकता को उचित हुई है।
ममता की पहचान करे जो, जग में क्यूँ वो मुदित हुई है।

"मौर्य" प्रश्न प्रति नारी को है, पुरुषों के आभारी को है।
तुम्हरी लिपि लहराती क्यूँ नहिं, पुरुषों पर सरदारी को है।

जग से भी सम्बन्ध तुम्हारा, काम ही तुमपे भारी क्यूँ है।
ममता की पहचान करे जो, सबसे पहली नारी क्यूँ है।

अरे नारियों गुप्त हो जाओ, दर्शन तुम्हरी क्रुद्धित हुई है।
ममता की पहचान करे जो, जग में क्यूँ वो मुदित हुई है।
३१/०७/२०१४
       ~~~~~~~~~ अंगिरा प्रसाद मौर्या।

>>>>>>>जय माँ शारदे<<<<<<<

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें