कोई जले न जले, पर मैं जलता हूँ,
कोई चले न चले, पर मैं चलता हूँ,
सूरज ढले न ढले,पर मैं ढलता हूँ,
रात थमे न थमे, पर मै निकलता हूँ।
कोई जमे न जमे, पर मैं जमता हूँ,
कोई रमे न रमे, पर मैं रमता हूँ,
लोग कहें न कहें, पर मैं कहता हूँ,
चंद व्यंग ही सही, पर मैं सहता हूँ।
दरिया बहे न बहे, पर मैं बहता हूँ,
माता के वचनों पर, स्थिर मैं रहता हूँ,
सावधान जेहादियों ! संकल्प ले कहता हूँ!
किसी कटघरे में नहीं, बस गोद में रहता हूँ।
कोई रहे न रहे, पर मैं रहता हूँ,
प्रण भी करता हूँ, प्राण भी हरता हूँ,
मैं भारत हूँ, "मौर्य" भरता हूँ,
मैं हिन्द हूँ ! मैं शेर हूँ ! नहीं डरता हूँ।
~~~ अंगिरा प्रसाद मौर्या।
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"मौर्य" यहाँ हुंकार भरे जब, खून की नदियाँ बह जाएँगी।
नापाक गुटों कश्मीर-विरोधी, बहुएँ-विधवा हो जाएँगी।
~~~~~~~~~APM
!!*!! जय हिन्द !!*!! जय भारत !!*!!
१५/०७/२०१४
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