रविवार, 20 जुलाई 2014

भारत बनाम शिक्षा

कट्टर दुश्मन थे रोगों के,
आज वही बीमार बने हैं,
हमने जग को शिक्षा क्या दी,
आज हम्हीं दीवार बने हैं।

डॉक्टर यहाँ उपाधि बड़ी है,
पंडित मानों व्याधि पड़ी है,
वैद्यालय अब मेडिकल होता,
पतन यहीं से बड़ी कड़ी है।

सुना है पंडित जाति है कोई,
दिन में भी रहते हैं सोई,
शिक्षा बस अधिकार है उसका,
पुत्र ही उनका पंडित होई।

शिक्षक देखो बड़े निराले,
स्वेत है बाहर अंतर काले,
अंग्रजों की माला जपते,
खोज पे उनके लगे हैं ताले।

कैसे भारत कहूँ अवस्था,
प्रचलित है जो गैर व्यवस्था,
तुच्छ जहाँ में सोच है जिनकी,
वृद्ध नहीं वो युवावस्था।

"मौर्य" उन्होंने ने ममता बेचा,
हम भी तो इज्जत ही बेचे,
मॉम औ माँ में कहाँ है अंतर,
धन-दौलत का बड़ा ये पेसा।

धन निर्धारित नहीं है जीवन,
जीवन ये निर्धारित करता,
यही कृष्ण की कौतुक बातें,
"मौर्य" अभी तक नहीं समझता।
   ~~~ जय श्री कृष्ण ~~~
१९/०७/२०१४
             ~~~ अंगिरा प्रसाद मौर्या।

!!*!! जय हिन्द !!*!! जय भारत !!*!!

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