शनिवार, 13 दिसंबर 2014

धर्मान्तरण पर विशेष

आजकल धर्मान्तरण के समाचार सुनते और पढ़ते परेशान हो चुका हूँ इसलिए अपना विचार भी रख रहा हूँ।

भारत अधिकांश लोग हैं जो स्वयं को हिन्दू मानते हैं तथा उनके पास प्रमाण-पत्र भी हैं। किन्तु पाखण्ड के चलते सबलोग अपने हिन्दू होने पर यदि पश्चाताप न करते हों तो गर्व भी नहीं कर पाएंगे। क्योंकि यदि पूरे विश्व को देखा जाय तो भारत बहुत छोटा राज्य है और यहीं पर केवल हिन्दू रहते हैं। वे जैसे ही विदेश जाते हैं भारतीय भारतीय हो जाते हैं।

यदि किसी समुदाय के लोगों का धर्मान्तरण हिन्दू में हो जाय तो वास्तव में ये बहुत ही आश्चर्यचकित करने एवम् चौंकाने वाली बात है। क्योंकि हिन्दू धर्म के अंतर्गत विभिन्न जातियाँ आती है और सबका अपना इतिहास है, आप चाहे उसे बनावटी कहें अथवा यथार्थ परंतु किसी के पास इसका कोई सचित्र प्रमाण नहीं है।

बहुत ज्यादा चौंकाने वाली बात तो यह है कि यदि कोई हिन्दू बनता है तो उसकी जाति क्या होगी????????
क्या जो धर्मान्तरण करवा रहे हैं वे अपनी जाति में लेंगे ?????
अपनी बहन-बेटियाँ उनसे व्याहेंगे ?????
कदापि नहीं !!!!!!
यदि ऐसा ही होता तो लव-जिहाद नाम का कोई अपशिष्ट तत्व समाज में न व्याप्त होता।
अगर किसी नई जाति का निर्माण किया जाय तो उसे भेदभाव कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगा अथवा फिर कोई धर्मान्तरण ही क्यूँ करे।

हमारा स्वतंत्र मत यही है कि इस विषय पर सरकार को गंभीरता से काम लेना चाहिए।
सरकार को चाहिए धर्म का नए सिरे से निर्माण करे जिसका एक मात्र नाम मानवधर्म होना चाहिए।

अब भगवान किसको मानें ??????
भगवान का पद श्रीराम और श्री कृष्ण को ही मिलना चाहिए। क्योंकि मानवजीवन और मानवता के उदाहरण हेतु इससे श्रेष्ठ संसार में कोई भी चरित्र किसी भी ग्रन्थ में वर्णित नहीं है।

पाखण्ड को आज ही त्यागें :-
यदि आप हिन्दुत्व के पथ पर चलना चाहते हैं अथवा समस्त मानवजाति को लाना चाहते हैं तो कृपया जाति-पाति जैसे भेदभाव एवम् अन्य तमाम उन विशंगतियों का त्याग कर दें जिनसे मानवता को आघात पहुँचती हो अथवा जो लोकतंत्र या शिक्षित समाज में लागू (थोपा) नहीं किया जा सकता।

तथ्य:-
जो ज्ञानी(पारंगत) है वही पंडित है।
जो बलवान एवम् धनवान है वह यदि सभी का नहीं तो कुछ लोगों का श्वामी अवश्य है चाहे उसकी प्रवृत्ति कैसी भी हो !

भारतीय शुभचिन्तक- अंगिरा प्रसाद मौर्या।

हमसे यदि कोई भूल हुई हो तो आप भी अपने विचार सुझाएँ /-
किन्तु प्रतिक्रिया अवश्य दें /-

वंदे-मातरम्
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