रविवार, 28 दिसंबर 2014

धर्म और pk

धर्म !!!!!

बहन के साथ कैसा व्योहार करना चाहिए !
भाई के साथ कैसा व्योहार होना चाहिए !
बेटी से कैसा व्योहार होना चाहिए !
माँ से हमारा कैसा व्योहार हो !
पत्नी से कैसा व्योहार होना चाहिए !
हमारे पूज्यों, इष्ट देवी-देवताओं से कैसा व्योहार हो !
आदि।
ये सब नीतिगत है जातिगत नहीं।

यदि हम माँ का सम्मान करते हैं ! माँ से अटूट प्यार है। माँ की आज्ञा हमारे लिए अकाट्य है, तो निश्चय ही हम अपने कर्तव्य का पालन कर रहे हैं। अर्थात् हम धर्म पर हैं।
परंतु,
यदि कोई माँ की अवज्ञा करे अपमान करे ! तो वह अपने कर्तव्य पर नहीं है। अर्थात् वह धर्म पर नहीं है अथवा अधर्म पर है।

इसी प्रकार हमारे पूज्यों के लिए भी नीतियाँ हैं। वे कैसे प्रसन्न होते हैं ! उन्हें क्या रुचिकर लगता है ! उनके लिए क्या लाना चाहिए अथवा उन्हें क्या भेंट देनी चाहिए।

सारे कार्यकलाप नियमित हैं। जो नहीं जानते उन्हें इन नियमों का ज्ञान कराना भी हमारा धर्म है। अब यह उस व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह क्या करेगा ! क्योंकि धर्म नीतिगत के साथ-साथ व्यक्तिगत भी है।
किन्तु,
यदि कोई इन नियमों का उपहास करता है! उलंघन करने का सन्देश देता है तो वह अधर्मी है। क्योंकि आप में माउन्ट एवेरेस्ट पर चढ़ने जितना साहस और धैर्य यदि नहीं है तो, दूसरे को मना करने वाले आप कौन होते हो ??????

इसी तरह यदि भगवान भोलेनाथ के लिए दूध अर्पित करने के नियम हैं तो, ये पीके, खाके, नहाके, सौचालय से आदि कौन होते हैं मना करने वाले ?????????

आप ही सोचिये !!!!!
यदि आपको अपने पिता जी से कोई मूल्यवान वस्तु चाहिए तो, आप यही सोचेंगे कि जब पिता जी प्रसन्नचित रहेंगे तब माँगेंगे। अथवा उन्हें प्रसन्न करने के उपाय ढ़ूढ़ेंगे।

भगवान शंकर हमारे परमपिता हैं। उन्होंने हमे सुरक्षा प्रदान किया है। वे धर्म के ही नहीं धार्मिकता के स्रोत हैं। हम उनसे जितना प्रेम करेंगे, पिता होने के नाते वे हमसे गई गुना ज्यादा प्रेम करेंगे।

धर्म में यह भी है कि किसी को सताना नहीं चाहिए ! किसी को अपशब्द नहीं कहना चाहिए। किसी भी प्राणी को मारना पाप है।

परंतु यदि कोई आपके पिता को मारे तो, उसे मारना आपका धर्म ही नहीं अपितु पुण्यकार्य भी है। और यदि आप अपने पिता के सत्रु का साथ दिए तो, वह अधर्म ही नहीं अपितु आप पाप के भी भागी हुए।

अब आपको सोचना है कि फ़िल्म pk और उसके अभिनेताओं तथा फिल्मकारों के साथ क्या करना चाहिए। बताना हमारा धर्म है।

भारतीय शुभचिंतक- अंगिरा प्रसाद मौर्य ।

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