शुक्रवार, 12 दिसंबर 2014

समाज और फिल्मों की चाटुकारिता

हमने बहुत शोध किये किन्तु फ़िल्म चाटुकारिता के भरोसे चल रही है यही तथ्य प्राप्त हुआ।

आज आप 2014 में हैं कल 2015 में पहुँच जायेंगे। जरा एक बार पीछे मुड़कर 2010 में चले जाइये। उस समय आप पाएंगे कि फिल्मों में जितनी अश्लीलता थी उतनी अश्लीलता और अभद्रता आज समाज में बड़े पैमाने पर देखने को मिल रही है। किन्तु आज जैसी अभद्रता फिल्मों में दिखाई जाती है उसका प्रादुर्भाव समाज में महज दो सालों में देखने को मिलेगा।

हम किसी सम्प्रदाय विशेष को इंगित नहीं कर रहे हैं अपितु पूरे समाज की बात कर रहे हैं। वही समाज जिसमें आपके माता पिता भाई बहन बेटी आदि आते हैं और हमारे भी।

हमने बहुत से लोगों को पूँछा कि आप हनी सिंह जैसे अभद्र कलाकारों को क्यों पसंद करते हैं ? लोग कहते हैं कि मजा आता है वह सीधा सीधा सबकुछ कहता है।
हमने कहा सीधा कहता है ! कहीं गाली तो नहीं देता है ? लोगों ने कहा नहीं भाई मनोरंजन की बात करता है।

हमने फिर कहा क्या आजकल के फ़िल्म और गाने आप अपनी बहनों और बेटियों के साथ भी देखना पसंद करेंगे ? कुछ लोगों का कहना था नहीं कभी नहीं। और कुछ लोगों का कहना था ये सार्वजनिक रूप से चल रहा है समाज में इसमें कौन सी लाज-शर्म।

अब बचे हुए कुछ लोगों से हमने फिर सवाल किया !
आज के समाज में तो एक बाप अपनी बेटी का बलात्कार कर रहा है और एक भाई अपनी बहन का बलात्कार कर देता है वो भी सार्वजनिक रूप में । क्या इसी तरह आप भी कर देंगे ? अथवा अनजाने में आपकी बहन अथवा बेटी आपसे विवाह करने को कहे तो तो कर लेंगे ?

हमारे इस प्रश्न पर वे लोग भी चुप हो जाते थे और अपना सर इस तरह झुका लेते थे मानों वे कोई अपराधी और मैं एक दंडनायक(न्यायधीश)।

अब आपसे भी हमारा स्वतंत्र विचार यही है कि मित्रों आप भी और आज ही फिल्मों के बहिष्कार में जुट जाएँ।
क्योंकि जिस फ़िल्म-जगत को दर्पण-जगत कहा जाता था वो आज अपहरण जगत हो गया है।
समाज में क्या होना चाहिए वह दिखाना दर्पण दिखाना है। फिल्मों में नैतिकता होनी चाहिए। नैतिकता अर्थात एक ऐसी नीति तैयार होनी चाहिए जिससे समाज का नुकसान नहीं कल्याण हो।

जो हो रहा है अथवा जो चोरी से किया जा रहा है या जो कार्य प्रतिबंधित हैं समाज कल्याण हेतु। उन कार्यों एवम् अवैध क्रियाओं को बहाल कराना किसी भी प्रकार का दर्पण नहीं हो सकता। यह अधर्म की चाटुकारिता कर धर्म को पराजित करना है। यह तो दुर्योधन का साथ देकर अर्जुन को हराना है।

यदि आप एक सच्चे देशभक्त, मातृभक्त और धार्मिक होंगे तो कल से आप किसी भी प्रकार की फिल्में नहीं देखेंगे। इसमें हमें तनिक भी संदेह नहीं है।

वन्दे-मातरम्

भारतीय शुभचिन्तक- अंगिरा प्रसाद मौर्या।

जय हिन्द !!*!! जय भारत

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