अब जब संसद तक पॉर्न की बात पहुँच ही गई और कुछ मीडिया कलाकार भी पॉर्न के आदी हैं तो इस पर विचार देना उचित हो जाता है।
पोर्न का तात्पर्य "कामोद्दीपक" से है अर्थात् काम की उत्तेजना बढ़ाने वाला !
संसार में जीवन के लिए काम का होना अति आवश्यक है किन्तु पूरा दिन अथवा पूरा जीवन कामभावना में ही बीते तो वह समाज के लिए भी भयावह है और स्वयं के लिए भी !
ऐसा कौन सा व्यक्ति होगा जिसमें काम भावना का उदय नहीं हुआ अथवा होता नहीं होगा ! कोई भी नहीं है ? यहाँ तक की जीव-जन्तु भी नहीं !
हमने कई पॉर्न साइट्स के अध्ययन किये !
जहाँ पर यह पाया गया कि,
पुत्र के द्वारा माँ का बलात्कार!
माँ के द्वारा पुत्र का बलात्कार !
भतीजे द्वारा चाची का बलात्कार !
चाची ने भतीजे का बलात्कार किया !
शिक्षक ने शिक्षिका का !
शिक्षक ने छात्रा का !
शिक्षिका ने छात्र का !
छात्र ने शिक्षिका का !
बहन ने भाई का !
भाई ने बहन का !
पिता ने पुत्री का !
तथा पुत्री ने अपने दादा का बलात्कार किया !
अब मैं आप सभी से पूंछना चाहूँगा कि,
क्या यही आज की जरुरत है ?
अथवा यही नैतिकता है ?
यदि सब समय की माँग है और लोग पॉर्न फिल्मों का समर्थन करते हैं तो मैं समझता हूँ कहीं पर भी बलात्कार नहीं होता ? सब झूठी घटनाएँ हैं ।
हमें जो सिखया पढ़ाया जायेगा हम वही तो करेंगे !
आपका शुभचिंतक - अंगिरा प्रसाद मौर्य
आप सभी के विचार सादर आमंत्रित हैं !
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