बुधवार, 26 अगस्त 2015

हिन्दी मेरी भाषा है


हम पहले अंग्रेजी शब्दों एवं वाक्यों का प्रयोग करते थे ।
किन्तु ,
          जब हमें ये पता चला कि यदि भारत में अंग्रेजी शब्दों का प्रचलन इतना होता जा रहा है और हिन्दी न के बराबर हो रही है। तो हमने भविष्य पर विचार किया !

हमे यह पता चला कि यदि हिन्दी पूर्णतः समाप्त हो गयी तो हमे स्वामीविवेकानन्द, दयानन्द सरस्वती आदि महापुरुषों(हमारे पूर्वजों) के इतिहास को भी समाप्त करना पड़ेगा !

और यदि ऐसा हुआ तो हमे उदाहरणार्थ केवल अंग्रेजी महापुरुषों को स्मरण रखना होगा।
तथा
कल की पीढ़ी से कोई अंग्रेज पूँछ लेगा कि संसार को तुमने क्या दिया या तुम्हारे पूर्वजों ने क्या दिया ?
तब उन्हें निरुत्तर हो जाना पड़ेगा तथा लोग उनका परिहास भी उड़ा सकते हैं।
अतः,
हिन्दी मेरी भाषा है, हिन्दी मेरी प्राण है ।
हिन्द में हिन्दी ना जाने जो, समझो वो एक राण है।
#APM

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