रविवार, 2 अगस्त 2015

मित्रता दिवस

सादर नमन स्वजनों !
आज सुबह से हमारे कुछ मित्रों के मन यह प्रश्न अवश्य उठ रहा होगा कि हमने मित्रता दिवस पर शुभकामनायें क्यों नहीं दिया ?

उसका उत्तर यह है कि प्रतिदिन हमारे लिए मित्रता का ही दिन होता है न कि शत्रुता का ! और शुभकामनायें भी हम रोज देते हैं।

मैं आप सब लोगों को बता देना चाहता हूँ कि,
यदि एक आतंकवादी से कोई सहानुभूति प्रकट करने लगता है तो ऐसा करने वालों की भीड़ लग जाती है।

इसी तरह यदि कोई शत्रुता दिवस का भी प्रचलन शुरू कर दे तो उसे भी इस चुतियापा के दौर में अनुशरणकर्ता मिल जायेंगे !

क्या है ये सब ?
क्या दीवाली और होली जैसे हमारे भारतीय त्यौहार मैत्री स्थापित्य के सन्देश नहीं देते ?

आज हम यदि मित्रतादिवस मान लें तो क्या और सारे दिन शत्रुता के हैं क्या ?

मित्रता का मूल उद्देश्य है एक दूसरे को लाभ पहुचाना ! और जो इस कथन को नहीं जानता अथवा नहीं स्वीकारता वह कभी भी मित्रता नहीं कर पायेगा ।

अब कोई स्वच्छता दिवस की पहल कर दे तो इसे भी मैं अपवाद ही मानूँगा क्योंकि स्वच्छता और मित्रता ऐसी चीजें हैं जिनकी आवश्यकता इस संसार के लिए सदा से रही है और सदा ही रहेगी ।

अब आप योग-दिवस को अपवाद माने तो यह आपके बीमार सोच का परिचय देगी !
क्योंकि योग एक प्रणाली है जिसमें प्रावधान एवं शर्तें हैं तथा इसे जानने के लिए पूरे विश्व भर में किसी एक दिन का चयन किया जाय तो वह मानवता की पराकाष्ठा है।
जय श्री कृष्ण !
आपका शुभचिन्तक - अंगिरा प्रसाद मौर्य

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