मुफ्त में देंगे कहने को बस, बना सीढ़ियाँ चढ़ जाते हैं,
सत्ता आने पर फिर देखो, काल ही बन के मडराते हैं।
हमें मुफ्त का नहीं चाहिए, अभी मार्ग बस सही चाहिए,
हमे मुफ्त से क्या लेना है, मेहनत की जो हम खाते हैं।
कर्म-विमुखता पे ना भागो, भारत माँ के पुत्रों जागो,
"मौर्य" हमें उनसे क्या लेना, जो आज यहाँ कल ढा जाते हैं।
दीन-हीन को कौन दुहाई, करते धनिकों की चटुआई,
असहाय जो हक़ की पाना चाहे, धनिक यहाँ पर गुर्रा जाते हैं।
~~~~~~~~~अंगिरा प्रसाद मौर्या
दिनाँक:-०७/०३/२०१४
सत्ता आने पर फिर देखो, काल ही बन के मडराते हैं।
हमें मुफ्त का नहीं चाहिए, अभी मार्ग बस सही चाहिए,
हमे मुफ्त से क्या लेना है, मेहनत की जो हम खाते हैं।
कर्म-विमुखता पे ना भागो, भारत माँ के पुत्रों जागो,
"मौर्य" हमें उनसे क्या लेना, जो आज यहाँ कल ढा जाते हैं।
दीन-हीन को कौन दुहाई, करते धनिकों की चटुआई,
असहाय जो हक़ की पाना चाहे, धनिक यहाँ पर गुर्रा जाते हैं।
~~~~~~~~~अंगिरा प्रसाद मौर्या
दिनाँक:-०७/०३/२०१४
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