सुन मुस्काता कभी खबर तो, कभी महीनों रो जाता हूँ,
भारत माँ की हालत ऐसी, सहम सहम के सो जाता हूँ।
हर मुद्दा है यहाँ विवादित, कूटनीति से ये उत्पादित,
वोट बैंक से सब आधारित, दुष्टों द्वारा ये प्रतिपादित।
यहाँ उलझ मै खो जाता हूँ, सहम सहम के सो जाता हूँ।
एक दिन मश्जिद के जगराते, एक दिन जा वो घंट बजाते,
एक दिन अल्ला को ठुकराते, एक दिन राम को झूठ बताते।
देख ये पेसा रो जाता हूँ, सहम सहम के सो जाता हूँ।
भारत माँ के पुत्र लड़ाते, हिन्द-सभ्यता को रुकवाते,
जनहित बस परचार यहाँ पर, रोज यहाँ एक विपदा लाते।
देख ये हालत रो जाता हूँ, सहम सहम के सो जाता हूँ।
~~~~~~~~~अंगिरा प्रसाद मौर्या
दिनाँक:- ०५/०४/२०१४
!!*!!जय हिन्द!!*!!
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