#दलितों #पिछड़ों को किसी और कौम में जाने की कोई आवश्यकता नहीं है।
किसी भी #ग्रन्थ में नहीं लिखा है कि #दलित मन्दिर में नहीं जा सकता !
#ईश्वर केवल मन्दिर में ही नहीं हर कण में है, आपके मन में भी है।
यदि #ब्राह्मणवाद दलितों को कहीं जाने से रोकता है तो ये उसकी गलती है, वह #ढोंग कर रहा है।
#धर्म कोई #व्यापार #व्यवसाय नहीं है कि इसका कोई ठेकेदार होगा! यह तो जीवन जीने का एक #सुगम मार्ग है।
आप अपने घर में मंदिर बनाइए, आप #ब्राह्मणों का निर्देश न मानिए, आप ग्रन्थों, गीता आदि से शिक्षा लीजिए, उसमें कोई #भेदभाव नहीं है।
ये जो कुछ #लोग आगे आकर के कहते हैं कि यदि उन्हें #मन्दिर में प्रवेश नहीं मिला तो वे मुसलमान बन जायेंगे, वे ईसाई बन जायेंगे। ये वही लोग हैं जिनकी #चाटुकारिता की दुकानें 2014 #लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद से ही बन्द पड़ी हैं।
आप इनके बहकावे में न आएं !
धर्म को #जेल अथवा #कारागार न समझें !
धर्म जीवन को सुगम बनाने का उपयुक्त निर्देशक है।
धर्म एकता की कुँजी है।
धर्म ही #मानवता की परिभाषा है।
--------- अंगिरा प्रसास मौर्य #मौर्य
#दिनाँक : ०२/०८/२०१६
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें