रविवार, 15 नवंबर 2015

क्या हमारा देश सबसे समृद्ध बन सकता है।

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मैंने सुना है कि फ़िल्म वालों को यदि दर्द की गोली लेनी हो तो वे विदेश से 1करोड़ देकर लाते हैं, जबकि भारत में मात्र 1रुपये मे मिलता हैं।
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मैंने सुना है कि फ़िल्म वालों को यदि चड्ढी भी ख़रीदने हों तो वे विदेशों से 10लाख रुपये देकर लाते हैं, जबकि भारत में 50-75रुपये मिलता है।

तो भैया ! मेरा सुझाव ये है कि ये लोग कमाते देश से हैं तो लाभ विदेशों का क्यों करवाते हैं ?

अभी अभी कोई एक फ़िल्म आयी है जिसका नाम "धन पायो" क्या रख दिया और लोगों ने एक सप्ताह में उसे 100करोड़ रूपयों का धन अर्पित कर दिया ।

क्या ये 100करोड़ रुपये हम अपने देश के बैंक में अपने नाम से नहीं रख सकते ?

क्या अपने पैसों को नचनियों द्वारा विदेश भेजना उचित है ?
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इसी पर हम आपकी राय जानना चाहते हैं !
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!!*!! जय हिन्द !!*!!
भारतीय शुभचिन्तक : अंगिरा प्रसाद मौर्य ।

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