बुधवार, 18 सितंबर 2013

हिन्द के दामन में कुछ शब्द भर रहा हूँ ,

हिन्द के दामन में कुछ शब्द भर रहा हूँ,
अपने भारत को सादर नमन कर रहा हूँ,
बंदूक तोप नहीं है हाथ में किंचिद मेरे,
पर शब्दों में वतन की झलक लिख रहा हूँ।।

यही वो भारत है धर्मियों का हिंदुस्तान,
आज की दुर्दशा जानता है सारा जहान,
आज बहुत हैं बने अधर्मियों के कारवां,
स्थिति पे मैं ऐसी रुदन कर रहा हूँ।।
हिन्द के....................लिख रहा हूँ।।

लिखा जाता है मोटे अक्षरों में भारत महान,
नित्य निकलती जा रही है अब इसकी जान,
जाने अब कब होगा भ्रष्टाचार से निदान,
ईश्वर की महिमा का किरण गिन रहा हूँ।।
हिन्द के....................... लिख रहा हूँ।।
~~~~~~~~~वन्दे-मातरम।।
~~~~~~~~~अंगिरा प्रसाद मौर्या
~~~~~~~~~APM

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें